सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस संजय कुमार ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका से खुद को अलग किया

Update: 2024-07-11 08:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस संजय कुमार ने निजी कारणों का हवाला देते हुए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। सिसोदिया की जमानत याचिका शराब नीति मामले में उनके खिलाफ दर्ज धन शोधन और भ्रष्टाचार के मामलों से संबंधित है।

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संजय कुमार की तीन जजों वाली पीठ आज मामले की सुनवाई करने वाली थी। हालांकि, जस्टिस कुमार के मामले से अलग होने के बाद न्यायालय ने मामले को 15 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में फिर से सूचीबद्ध किया।

याद रहे कि 4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल द्वारा दिए गए इस आश्वासन को रिकॉर्ड में लेने के बाद सिसोदिया की जमानत याचिका का निपटारा किया कि शराब नीति मामले में आरोपपत्र/अभियोजन शिकायत 3 जुलाई, 2024 को या उससे पहले दाखिल की जाएगी। साथ ही कोर्ट ने सिसोदिया को अंतिम शिकायत/आरोपपत्र दाखिल होने के बाद जमानत के लिए अपनी प्रार्थनाओं को फिर से शुरू करने की स्वतंत्रता दी।

इस सप्ताह की शुरुआत में सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए सिसोदिया के आवेदन का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सिसोदिया सोलह महीने से जेल में हैं और मुकदमा समाप्त होना चाहिए। इसके बाद मामले को गुरुवार को तीन जजों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया।

सुनवाई की शुरुआत में ही जस्टिस खन्ना ने सिंघवी को सूचित किया,

"मेरे भाई व्यक्तिगत कारणों से मामले की सुनवाई नहीं करना चाहेंगे।"

इसके बाद सिंघवी ने जोर देकर कहा कि मामला अत्यंत जरूरी है। उन्होंने रेखांकित किया कि मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है। उन्होंने सबसे छोटी तारीख का अनुरोध किया।

तदनुसार, न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:

"सीजेआई के आदेश के अधीन, जिस पीठ में मेरा भाई सदस्य नहीं है, 15 जुलाई से शुरू होने वाले सप्ताह में (सूचीबद्ध) करें।"

सिसोदिया ने 21 मई के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें उनकी दूसरी जमानत याचिका खारिज कर दी गई।

पूर्व उपमुख्यमंत्री कथित शराब नीति घोटाले के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज मामलों में जमानत मांग रहे हैं। उन्हें पहली बार पिछले साल क्रमशः 26 फरवरी और 9 मार्च को CBI और ED द्वारा गिरफ्तार किया गया था।

केस टाइटल: मनीष सिसोदिया बनाम प्रवर्तन निदेशालय, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 8781/2024

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