वायु एवं ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए कदम न उठाने पर राजस्थान के अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के अधिकारियों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि नवंबर, 2023 के कोर्ट के निर्देशों के बावजूद राज्य में खास तौर पर उदयपुर में वायु एवं ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए कदम नहीं उठाए गए।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राजस्थान राज्य के पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सहित कथित अवमाननाकर्ताओं की उपस्थिति को समाप्त करते हुए यह आदेश पारित किया। मामले को 10 दिसंबर को सूचीबद्ध किया गया।
संक्षेप में कहा जाए तो अवमानना याचिका 2015 में तीन शिशुओं (अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव भसीन) द्वारा दायर की गई जनहित याचिका में दायर की गई, जिनकी उम्र 6 महीने से 14 महीने के बीच है। इन शिशुओं ने अपने कानूनी अभिभावकों के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी यानी दिल्ली में "घातक" प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए तत्काल उपाय करने की प्रार्थना की थी।
इस जनहित याचिका में अन्य बातों के अलावा त्योहारों के दौरान पटाखों, फुलझड़ियों और विस्फोटकों के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई। नवंबर 2016 में दिवाली के बाद लगभग दो सप्ताह तक दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में प्रदूषण के बिगड़ते स्तर के मद्देनजर, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और NCR क्षेत्र में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री, भंडारण और नए लाइसेंस जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
नवंबर, 2023 में कोर्ट ने राजस्थान राज्य और उदयपुर के जिला प्रशासन को उदयपुर शहर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने के निर्देश देने की मांग वाली एक अर्जी पर सुनवाई की। राज्य के संबंध में कोई विशेष आदेश पारित किए बिना कोर्ट ने संकेत दिया कि वायु/ध्वनि प्रदूषण को कम करने और इससे बचने के तरीके पर पिछले कुछ वर्षों में जनहित याचिका में पारित आदेश देश के हर राज्य (राजस्थान सहित) के लिए बाध्यकारी होंगे।
कोर्ट ने कहा,
"हम यह स्पष्ट करते हैं कि राजस्थान राज्य भी इस पर ध्यान देगा और न केवल त्योहारों के मौसम के दौरान बल्कि उसके बाद भी वायु/ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सभी कदम उठाएगा।"
इस आदेश की अवमानना का आरोप लगाते हुए वर्तमान याचिका दायर की गई। इसमें कहा गया कि प्रतिवादियों द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई, निवासियों को सलाह जारी करना तो दूर की बात है।
याचिका में कहा गया,
"08.01.2024 को उदयपुर टाइम्स में प्रकाशित 'उदयपुर की झीलों की तलहटी में पाए गए बॉक्स और जले हुए पटाखे, आर्द्रभूमि मानदंडों का उल्लंघन' शीर्षक वाले समाचार लेख सहित साक्ष्य, झीलों की तलहटी से पटाखों के मलबे की बरामदगी, पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियाँ, और झीलों में अपशिष्ट निर्वहन जैसे उल्लंघनों का विवरण देते हैं, जो सभी सीधे तौर पर न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हैं और उदयपुर के पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डालते हैं।"
याचिकाकर्ता का कहना है कि कथित अवमाननाकर्ताओं की निष्क्रियता न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य और उदयपुर के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डालती है, बल्कि न्यायालय की गरिमा और अधिकार को भी कमजोर करती है।
केस टाइटल: भाग्यश्री पंचोली बनाम सुश्री अपर्णा अरोड़ा और अन्य, CONMT.PET.(C) संख्या 480/2024