सुप्रीम कोर्ट ने चंदा कोचर और उनके पति की गिरफ्तारी अवैध घोषित करने के आदेश को चुनौती देने वाली CBI की याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने ICICI बैंक-वीडियोकॉन लोन धोखाधड़ी मामले में पूर्व ICICI बैंक की सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति (दीपक कोचर) को जमानत दिए जाने के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (BCI) द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की खंडपीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू (CBI की ओर से) की सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया, जिन्होंने हाईकोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी, जिसमें कोचर की गिरफ्तारी को "अवैध" घोषित करते हुए इसे "शक्ति का दुरुपयोग" बताया गया।
अदालत के सवालों के जवाब में एएसजी ने बताया कि चंदा कोचर लंबे समय तक अंतरिम जमानत पर रहीं। उन्होंने केवल लगभग 2 सप्ताह ही हिरासत में बिताए। उन्होंने यह भी बताया कि मामले में आरोपपत्र दायर किया गया।
जस्टिस खन्ना ने एएसजी से कहा,
"जहां तक धारा 41 सीआरपीसी का सवाल है, आपकी बात सही है, भाषा उतनी सख्त नहीं है। लेकिन फिर इस न्यायालय के कुछ निर्णय हैं, जो दर्शाते हैं कि आपको गिरफ्तारी को उचित ठहराना होगा।"
जवाब में एएसजी ने कहा,
"गिरफ्तारी उचित थी। हाईकोर्ट का कहना है कि पर्याप्त सबूत नहीं थे।"
नोटिस जारी करते हुए खंडपीठ ने मामले को CBI द्वारा सह-आरोपी वेणुगोपाल नंदलाल धूत को दी गई जमानत रद्द करने की मांग करने वाली विशेष अनुमति याचिका के साथ जोड़ दिया। यह ध्यान देने योग्य है कि दंपति को CBI ने 23 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था, जो उनके बेटे की शादी से कुछ हफ़्ते पहले और मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के तीन साल से अधिक समय बाद था।
केस टाइटल: केंद्रीय जांच ब्यूरो बनाम चंदा कोचर और अन्य, डायरी नंबर 24077-2024