सुप्रीम कोर्ट ने चोरी की मशीन मामले में आजम खान और उनके बेटे की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता मोहम्मद आजम खान, रामपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व सदस्य और उनके बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान, स्वार विधानसभा क्षेत्र से पूर्व सदस्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर नोटिस जारी किए, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा चोरी की मशीन मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार करने के 29 जनवरी के आदेश को चुनौती दी गई।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल उनकी ओर से पेश हुए।
तथ्यों के अनुसार, मोहम्मद आजम खान, मोहम्मद अब्दुल्ला आजम, अजहर खान, सुल्तान मोहम्मद खान, अनवर हुसैन, सलीम और तालिब के खिलाफ FIR दर्ज की गई। आरोप है कि पूर्ववर्ती सपा सरकार ने सरकारी धन से सफाई के लिए मशीनें खरीदी थीं, लेकिन जौहर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति मोहम्मद आजम खां और नगर पालिका रामपुर के पूर्व चेयरमैन अजहर खां के साथ साजिश कर उक्त मशीनों का प्रयोग जौहर यूनिवर्सिटी में किया जा रहा था।
नई सरकार के कार्यकाल में मशीनों की तलाशी ली जा रही थी, जिसमें कुलाधिपति मोहम्मद आजम खां के निर्देश पर सुल्तान मोहम्मद खां, उपकुलपति अब्दुल्ला आजम खां और यूनिवर्सिटी के कैंटीन इंचार्ज अनवर हुसैन, सलीम और तालिब व अन्य ने मशीन को छिपा दिया और मशीन को काटकर दबा दिया गया, जिसकी रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की जाए। इसलिए आजम खां और अब्दुल्ला आजम खां के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 411, 201, 120बी और सार्वजनिक संपत्ति क्षति अधिनियम की धारा 2 और 3 के तहत तथा अजहर खां (संबंधित मामले में) के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 120बी के तहत FIR दर्ज कराई गई। धारा 2/3 सार्वजनिक सम्पत्ति (क्षति निवारण) अधिनियम के तहत रिपोर्ट दर्ज होने पर जांच की गई तथा 19 सितम्बर 2022 को अभियुक्त अनवर हुसैन की उपस्थिति में बरामदगी की गई, जिसमें यूनिवर्सिटी परिसर में झाड़ियों के बीच से मशीन बरामद की गई। बरामदगी के समय यूनिवर्सिटी के कर्मचारी आलम, सुरक्षा गार्ड नाजिम तथा राजू सिंह मौजूद थे। बरामद मशीनों के पुर्जे भारी थे, अतः उन्हें मशीन की सहायता से ले जाया गया, उक्त बरामदगी के सम्बन्ध में रिकवरी मेमो तैयार किया गया। मामले की जांच की गई और 15 नवंबर 2022 को मोहम्मद आजम खान, मोहम्मद अब्दुल्ला आजम के खिलाफ धारा 409, 120-बी, 411, 201 आईपीसी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अधिनियम, 1984 की धारा 2/3 के तहत अपराध के लिए और अनवर हुसैन, सलीम और तालिब के खिलाफ धारा 120 बी, 411, 201 आईपीसी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के अधिनियम, 1984 की धारा 2/3 के तहत अपराध के लिए आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया।
जहां तक सुल्तान मोहम्मद खान का सवाल है, उन्हें मामले में दोषमुक्त कर दिया गया और उनका नाम आरोप पत्र के कॉलम 12 में उन व्यक्तियों में सामने आया, जिनके खिलाफ आरोप पत्र नहीं दाखिल किया गया। संबंधित अदालत ने 16 नवंबर 2022 के अपने आदेश के जरिए आरोप पत्र पर संज्ञान लिया।
हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा:
"तीनों आवेदकों का आपराधिक इतिहास है, जो काफी संख्या में है। आरोपी आवेदक मोहम्मद आजम खान और मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान को संबंधित ट्रायल कोर्ट द्वारा कुछ मामलों में दोषी भी ठहराया जा चुका है। मामला ऐसा है कि इस समय उनकी रिहाई से मुकदमे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि बरामदगी के गवाह विश्वविद्यालय के अधिकारी और कर्मचारी हैं और वे भी साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं। ऐसे में जमानत आवेदन इस स्तर पर खारिज किए जाते हैं।"
केस टाइटल: मोहम्मद आजम खान और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 17240/2024 और अजहर खान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, एसएलपी (सीआरएल) संख्या 17426/2024