सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बिजय केतन साहू को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम संरक्षण प्रदान किया

Update: 2024-06-25 05:16 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा प्रशासनिक सेवा (OAS) के अधिकारी बिजय केतन साहू को आय से अधिक संपत्ति के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। कोर्ट ने साहू को दो सप्ताह के भीतर स्पेशल कोर्ट के समक्ष पेश होने और अपने जमानत बांड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

जस्टिस ए.एस. ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की वेकेशन बेंच ने साहू द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका में नोटिस जारी करते हुए इस शर्त पर संरक्षण प्रदान किया कि वह 2 सप्ताह के भीतर स्पेशल कोर्ट के समक्ष उपस्थित हों और सीआरपीसी की धारा 88 के तहत बांड प्रस्तुत करें।

बेंच ने कहा,

"29 जुलाई को वापस करने योग्य नोटिस जारी करें, याचिकाकर्ता को शिकायत के संबंध में गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इस शर्त के अधीन कि आज से दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता को स्पेशल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होना चाहिए और सीआरपीसी की धारा 88 के तहत बांड प्रस्तुत करना चाहिए।"

साहू ने अपनी याचिका में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उनके खिलाफ दायर धन शोधन से संबंधित मामले में अग्रिम जमानत मांगी थी, जिसमें 5 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगाया गया।

याचिकाकर्ता के वकील ने स्पष्ट किया कि साहू तीन साल से जांच में सहयोग कर रहे हैं और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। वर्तमान अग्रिम जमानत याचिका पीएमएलए कोर्ट द्वारा समन नोटिस जारी किए जाने के बाद ही दायर की गई।

यह मामला साहू और उनकी पत्नी नलिनी प्रुस्ती, जो राज्य वित्तीय अधिकारी हैं, तथा उनके परिवार के कुछ अन्य सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दर्ज एफआईआर से संबंधित है। इसके बाद ED ने PMLA के तहत जांच शुरू की तथा साहू को विशेष न्यायालय, भुवनेश्वर द्वारा पेश होने के लिए समन भी जारी किया गया।

साहू और उनकी पत्नी पर आरोप है कि उन्होंने अपने रिश्तेदार के नाम पर भुवनेश्वर में 6 प्लॉट तथा तिमंजिला इमारत सहित कई संपत्तियां अर्जित की, जो आय का कोई स्वतंत्र स्रोत दिखाने में असमर्थ हैं।

केस टाइटल: बिजय केतन साहू बनाम प्रवर्तन निदेशालय डायरी नंबर- 23039/2024

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