सुप्रीम कोर्ट ने 4 साल से अधिक समय से हिरासत में लिए गए UAPA आरोपी को जमानत दी
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ कथित संबंधों को लेकर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA Act) के तहत आरोपी व्यक्ति को जमानत दी। कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जमानत दी कि वह 6 मई, 2020 से हिरासत में है और मुकदमे का जल्द खत्म होना संभव नहीं है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने यह भी नोट किया कि 14 सह-आरोपियों में से 12 को जमानत दी गई है।
कोर्ट मुकेश सलाम नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर विचार कर रहा था, जिस पर UAPA Act की धारा 10, 13, 17, 38(1)(2), 40, 22-ए और 22-सी के तहत अपराध का आरोप लगाया गया; छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 8(2)(3)(5) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 201 और 149/34 के तहत मामला दर्ज किया गया।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार करने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि मुकेश सलाम नक्सली कमांडर राजू सलाम का मामा था तथा राजू सलाम के साथ सीधे तथा निरंतर संपर्क में था तथा उसे सामग्री उपलब्ध कराता था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा उद्धृत 100 गवाहों में से अब तक केवल 40 गवाहों की ही जांच की गई।
न्यायालय ने कहा,
"उपर्युक्त परिस्थितियों और कथित मामले की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए हमारा विचार है कि याचिकाकर्ता को लगातार हिरासत में रखने से न्याय का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। मुकदमे के जल्द समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। याचिकाकर्ता 6 मई 2020 से हिरासत में है। हम तदनुसार आदेश देते हैं और निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता को एफआईआर संख्या 9/2020 के संबंध में विशेष न्यायाधीश (NIA Act), कांकेर द्वारा लगाए जा सकने वाले नियमों और शर्तों के अधीन जमानत पर रिहा किया जाए।"
केस टाइटल: मुकेश सलाम बनाम छत्तीसगढ़ राज्य