सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में गौतम नवलखा को दी गई जमानत पर हाईकोर्ट की रोक को मार्च तक बढ़ाया

Update: 2024-02-13 02:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 फरवरी) को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से दायर याचिका के बाद भीमा कोरेगांव मामले में पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को दी गई जमानत पर रोक को मार्च तक बढ़ा दिया।

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ पिछले साल दिसंबर में उन्हें जमानत देने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्रीय एजेंसी की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उल्लेखनीय है कि बॉम्बे हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने नवलखा की जमानत याचिका को अनुमति दी थी, लेकिन एनआईए के आग्रह पर आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की अनुमति देने के लिए उसने आदेश के क्रियान्वयन पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी।

पिछले महीने, सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए की याचिका को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष रखने का निर्देश देते हुए यह तय किया था कि इसे मामले में आरोपी अन्य व्यक्तियों द्वारा दायर अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध किया जाए या नहीं, सा‌थ ही बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई अंतरिम रोक को बढ़ा दिया था। सोमवार को नवलखा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने रोक पर असंतोष व्यक्त किया और तर्क दिया कि यह उचित विचार-विमर्श के बिना दिया गया था, जिससे हाईकोर्ट के जमानत आदेश के बावजूद नवलखा की हिरासत बढ़ गई।

सिंघवी ने कहा, "जमानत मंजूर होने के बावजूद, इस रोक के कारण वह व्यक्ति अभी भी जेल में है।"

दूसरी ओर, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत द्वारा पहले दी गई अंतरिम रोक को बढ़ाने के लिए दबाव डाला। उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए, पीठ सुनवाई की अगली तारीख तक अस्थायी रोक बढ़ाने पर सहमत हुई, जिसे मार्च के पहले सप्ताह में निर्धारित करने का निर्देश दिया गया था।

वरिष्ठ पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता नवलखा को भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद मामले में माओवादी समूहों के साथ संबंध रखने के आरोप में अप्रैल 2020 में गिरफ्तार किया गया था। नवलखा के खिलाफ मामला प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के एजेंडे को आगे बढ़ाने और 2018 में भीमा कोरेगांव घटना के दौरान जातीय हिंसा भड़काने के आरोपों से संबंधित है। एनआईए का तर्क है कि नवलखा ने शहरी कैडरों और भूमिगत माओवादी नेताओं के बीच संचार की सुविधा में केंद्रीय भूमिका निभाई थी।

दिसंबर 2023 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा को यह कहते हुए जमानत दे दी कि इस बात का अनुमान लगाने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि उन्होंने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 15 के तहत आतंकवादी कृत्य किया था। हालांकि, एनआईए के अनुरोध पर हाईकोर्ट ने जमानत आदेश को तीन सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया ताकि जांच एजेंसी इस फैसले को चुनौती दे सके।

केस डिटेलः राष्ट्रीय जांच एजेंसी बनाम गौतम पी नवलखा और अन्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 167/2024

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