सुप्रीम कोर्ट ने NGT के आदेश को वापस लिए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर केरल सरकार की याचिका का निपटारा किया, अपील दायर करने की आजादी दी

Update: 2024-05-16 04:19 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश को चुनौती देने वाली केरल हाईकोर्ट के समक्ष दायर रिट याचिका का निपटारा किया, जिसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था।

यह आदेश तब पारित किया गया, जब राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट आर बसंत ने अदालत को सूचित किया कि राज्य हाईकोर्ट से रिट याचिका वापस ले रहा है।

जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने इससे पहले पहली बार में ऐसी याचिका दायर करने के लिए राज्य के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई थी और मौखिक रूप से राज्य को अपना घर व्यवस्थित करने के लिए कहा था।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका वकील यशवंत शेनॉय द्वारा दायर की गई, जो वर्तमान में केरल हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन संघ के अध्यक्ष हैं। उनका मामला यह था कि NGT, दक्षिणी जोन बेंच ने मेसर्स कोचीन ग्रेनाइट्स नामक ग्रेनाइट खदान संचालक द्वारा किए गए खनन कार्यों को अवैध घोषित करने का आदेश पारित किया। इस आदेश की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने की थी। हालांकि, बाद में केरल हाईकोर्ट ने केरल राज्य द्वारा दायर रिट याचिका में एनजीटी के उसी आदेश पर रोक लगा दी।

दलील के दौरान और हलफनामे में शेनॉय ने रिट याचिका दायर करने वाले कानून अधिकारी, एडवोकेट जनरल और न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप लगाए।

पिछले हफ्ते कोर्ट ने उन्हें ये आरोप वापस लेने का आखिरी मौका दिया था। अदालत ने उन्हें चेतावनी दी कि अन्यथा वह उनके खिलाफ भी कार्रवाई शुरू करेगी।

कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने उन आरोपों को बिना शर्त वापस लेने का हलफनामा दाखिल किया, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

इसे देखते हुए न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:

“केरल राज्य की ओर से पेश सीनियर वकील का कहना है कि पहला प्रतिवादी रिट याचिका वापस ले लेगा। इस न्यायालय के समक्ष वैधानिक अपील दायर करेगा। यह सच है कि याचिकाकर्ता, जो बार का सदस्य और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का अध्यक्ष है, उसने एडवोकेट जनरल, बार के सदस्यों और जजों सहित राज्य के कानून अधिकारियों के खिलाफ बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं। याचिकाकर्ता द्वारा 10 मई, 2024 को हलफनामा दायर किया गया। हम हलफनामे में दिए गए बयान को याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को बिना शर्त वापस लेने के रूप में स्वीकार करते हैं। चूंकि राज्य याचिका वापस ले रहा है, जाहिर है, हाईकोर्ट द्वारा पारित सभी अंतरिम आदेश समाप्त हो जाएंगे।

तदनुसार, हमने निम्नलिखित आदेश पारित करके एसएलपी का निपटारा कर दिया:

1. केरल हाईकोर्ट के समक्ष पहले प्रतिवादी द्वारा दायर की गई रिट याचिका वापस ली गई मानकर निपटाया जाता है।

2. पहले प्रतिवादी के लिए यह खुला होगा कि वह उस आदेश के खिलाफ वैधानिक अपील कर सके जो हाईकोर्ट के समक्ष लागू किया गया था।

3. जहां तक अपील की बात है... हम पक्षकारों के सभी अधिकार और तर्क खुले रखते हैं, जो ऐसी अपील दायर होने पर ध्यान में रखे जाएंगे।

4. हम याचिकाकर्ता द्वारा दायर 10 मई के हलफनामे के पैराग्राफ 1 में दिए गए बयान को स्वीकार करते हैं और बयानों को रिकॉर्ड पर लेते हैं। एसएलपी का तदनुसार निपटारा किया जाता है।''

केस टाइटल: यशवन्त शेनॉय बनाम केरल राज्य | एसएलपी (सी) नंबर 5563/2023

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