सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में फैजयाब मस्जिद गिराए जाने का फैसला बरकरार रखा

Update: 2024-07-30 14:17 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका खारिज की। उक्त याचिका में अन्य बातों के साथ-साथ नई दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन में स्थित फैजयाब मस्जिद और मदरसा को गिराए जाने के खिलाफ यथास्थिति बनाए रखने की मांग की गई थी।

वर्तमान एसएलपी दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई, जिसमें केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह विचाराधीन भूखंड के यथासंभव निकट वैकल्पिक भूखंड के आवंटन के अनुरोध पर विचार करे। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने अपने विवादित आदेश के माध्यम से उक्त संरचनाओं को गिराए जाने की प्रभावी अनुमति दी है।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस आर. महादेवन की खंडपीठ ने बताया कि धार्मिक समिति ने विध्वंस की सिफारिश की थी।

जस्टिस खन्ना ने कहा,

“धार्मिक समिति ने विध्वंस की सिफारिश की है, क्योंकि यह व्यापक जनहित के लिए आवश्यक है। हां, वे अन्यथा ध्वस्त नहीं कर रहे थे, लेकिन अब बस स्टेशन को ध्वस्त करना होगा... एक ही कारण से कितने मामले सामने आएंगे?''

याचिकाकर्ता के वकील ने जब कहा कि भूमि वक्फ की संपत्ति है तो न्यायालय ने स्पष्ट रूप से इससे इनकार किया।

खंडपीठ ने यह भी कहा कि वह धार्मिक समिति के आदेश की हमेशा जांच कर सकती है। इसने कहा कि यह सरकारी भूमि पर अतिक्रमण है। इसे देखते हुए खंडपीठ ने एसएलपी खारिज कर दी। हालांकि, इसने यह स्पष्ट कर दिया कि वैकल्पिक पूजा स्थल आवंटित न होने की स्थिति में याचिकाकर्ता के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाना खुला रहेगा।

याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि धार्मिक समिति ने अवैध रूप से मस्जिद मदरसा को हटाने की सिफारिश की, जबकि यह स्वीकृत तथ्य है कि उक्त मस्जिद और मदरसा वक्फ की संपत्तियां हैं।

इसमें आगे कहा गया,

"2.04.2024 को आयोजित धार्मिक समिति की बैठक इस महत्वपूर्ण तथ्य पर विचार किए बिना आयोजित की गई कि विचाराधीन वक्फ संपत्ति विधिवत रजिस्टर्ड वक्फ है और इसे ध्वस्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह अतिक्रमण नहीं था और धार्मिक समिति के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता था, जिसका कार्य सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण पर विचार करना है।"

इसके मद्देनजर, याचिकाकर्ता ने निम्नलिखित अंतरिम प्रार्थनाओं के लिए अनुरोध किया:

"एलपीए नंबर 592/2024 में माननीय दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित दिनांक 19.07.2024 के आदेश पर रोक लगाई जाए; निर्देश दिया जाए कि संबंधित वक्फ के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए, क्योंकि मदरसा और मस्जिद सराय काले खां, भेलौलपुर खादर, खसरा नंबर 17, हजरत निजामुद्दीन, नई दिल्ली के लिए 1 बीघा, 3 बिस्वा की वक्फ भूमि को दिल्ली वक्फ बोर्ड में 14.09.1989 को रजिस्ट्रेशन नंबर 657 के रूप में रजिस्टर्ड किया गया था, जिसमें वर्तमान एसएलपी के लंबित रहने के दौरान मस्जिद और मदरसा सहित 1 बीघा 3 बिस्वा शामिल है।

केस टाइटल: रेहान इलाही बनाम दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और अन्य, डायरी नंबर 32872-2024

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