सुप्रीम कोर्ट ने NDTV को कथित FEMA उल्लंघनों के लिए कंपाउंडिंग की मांग करने की अनुमति देने वाले HC के आदेश के खिलाफ ED की याचिका खारिज की

Update: 2024-08-12 12:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (12 अगस्त) को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका खारिज की, जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई। उक्त आदेश में न्यू दिल्ली टेलीविजन (NDTV) को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के समक्ष विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के कथित उल्लंघनों के लिए कंपाउंडिंग कार्यवाही करने की अनुमति दी गई थी।

जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई मामला नहीं है, जिसमें निर्देश दिया गया कि कंपाउंडिंग आवेदन पर कानून के अनुसार निर्णय लिया जाए। हाईकोर्ट ने RBI, ED और CBI जैसी उच्च-कार्यशील संस्थाओं की भूमिका और स्वतंत्रता के संबंध में भी महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।

अपने संक्षिप्त आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा,

“हमें हाईकोर्ट द्वारा पैराग्राफ 109 में पारित प्रभावी आदेश में कोई त्रुटि नहीं मिली। विवादित निर्णय के पैराग्राफ 109 में ही दर्ज है कि समझौता करने के लिए आवेदन पर कानून के अनुसार निर्णय लिया जाएगा। हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता।”

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह ED को अपनी याचिका को संबोधित करने के लिए एजेंसी के लिए "अंतिम अवसर" के रूप में अतिरिक्त समय दिया। दिसंबर 2020 में अंतिम सुनवाई के बाद से लगभग साढ़े तीन साल के अंतराल के बाद न्यायालय मई 2024 से ईडी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस अवधि के दौरान, ED के कहने पर मामले को तीन बार स्थगित किया गया।

जस्टिस ओक ने टिप्पणी की थी कि बदली हुई परिस्थितियों के कारण ED के रुख में बदलाव हो सकता है, जो एजेंसी के दृष्टिकोण में संभावित बदलाव का सुझाव देता है।

कार्यवाही के दौरान, ED के एडवोकेट जोहेब हुसैन ने कहा कि हाईकोर्ट ने यह मानकर आगे बढ़े कि समझौता करना अधिकार का मामला है।

हालांकि, जस्टिस ओक ने बताया कि लंबी चर्चा के बाद हाईकोर्ट ने अंततः RBI को कानून के अनुसार आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया।

यह मामला NDTV द्वारा कथित FEMA उल्लंघनों से जुड़ा है, जो 1988 में प्रणय रॉय और राधिका रॉय द्वारा स्थापित प्रमुख समाचार प्रसारक है। NDTV को इन कथित उल्लंघनों के लिए ED द्वारा शुरू की गई न्यायिक कार्यवाही का सामना करना पड़ा। इसके बाद NDTV ने उल्लंघनों के लिए समझौता करने का फैसला किया और RBI को आवश्यक आवेदन प्रस्तुत किए। हालांकि, आवेदन वापस कर दिए गए, जिसके कारण NDTV ने RBI और ED दोनों की कार्रवाइयों को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने विवादित आदेश में RBI को NDTV द्वारा दायर समझौता आवेदनों पर विचार करने का निर्देश दिया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि समझौता कार्यवाही कानून के अनुसार सख्ती से आगे बढ़नी चाहिए।

NDTV का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट जनक द्वारकादास ने तर्क दिया कि इन संस्थानों की वैधानिक स्थिति और स्थिति को कमतर आंका जा रहा है। हालांकि हाईकोर्ट ने इस तर्क से असहमति जताई, लेकिन उसने इस तरह के संदेह की चिंताजनक प्रकृति स्वीकार की और इस बात पर जोर दिया कि इन मान्यताओं को अदालत में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वे इन संस्थाओं की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को कम कर सकते हैं।

हाईकोर्ट ने इन संस्थाओं में जनता के भरोसे और विश्वास को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया, यह देखते हुए कि कोई भी राजनीतिक हस्तक्षेप इन संस्थाओं की नींव को हिला सकता है। निर्णय ने रेखांकित किया कि ED जैसी संस्थाएं, जो FEMA और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) जैसे कड़े कानूनों को लागू करती हैं, भारत के विदेशी मुद्रा संसाधनों की सुरक्षा, संतुलित भुगतान प्रबंधन सुनिश्चित करने और संवैधानिक ढांचे की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।

हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई कि भविष्य में उसे इसी तरह की टिप्पणियां नहीं करनी पड़ेंगी और सभी संबंधित पक्षों से इन संस्थाओं की अनावश्यक आलोचना से बचने का आग्रह किया। ED ने वर्तमान अपील में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस निर्णय को चुनौती दी।

केस टाइटल- प्रवर्तन निदेशालय बनाम नई दिल्ली टेलीविजन लिमिटेड

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