BREAKING| सुप्रीम कोर्ट ने PM Modi की डिग्री पर टिप्पणी के लिए गुजरात यूनिवर्सिटी के आपराधिक मानहानि मामले के खिलाफ अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 अक्टूबर) को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज की, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की शैक्षणिक डिग्री के बारे में उनकी टिप्पणी को लेकर गुजरात यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार द्वारा उनके खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले को चुनौती दी थी।
उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें मानहानि मामले में जारी समन को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में सह-आरोपी संजय सिंह द्वारा उसी कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
यह देखते हुए कि न्यायालय को सुसंगत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, पीठ ने कहा कि संजय सिंह की याचिका में लिए गए दृष्टिकोण को देखते हुए वह केजरीवाल के मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है। साथ ही पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि सभी तर्कों को मुकदमे में तय किए जाने के लिए खुला छोड़ दिया गया। उसने मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं किया।
केजरीवाल की ओर से सीनियर एडवोकेट डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने केवल यह पूछा था कि यूनिवर्सिटी मोदी की डिग्री क्यों प्रकाशित नहीं कर रहा है। आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या ऐसा इसलिए है, क्योंकि डिग्री फर्जी है। सिंघवी ने कहा कि यदि बयान अपमानजनक था तो मोदी को आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करना चाहिए, न कि गुजरात यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार को। बयानों को यूनिवर्सिटी के संबंध में किसी भी तरह से अपमानजनक नहीं माना जा सकता।
यूनिवर्सिटी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ का ध्यान संजय सिंह के मामले में पारित आदेश की ओर आकर्षित किया। जवाब में सिंघवी ने कहा कि संजय सिंह के बयान अलग थे और उन्होंने केजरीवाल के मामले को अलग करने की कोशिश की।
एसजी ने पीठ को गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश के बारे में भी अवगत कराया, जिसमें मोदी के डिग्री प्रमाण पत्र की प्रति प्रस्तुत करने के केंद्रीय सूचना आयोग का निर्देश रद्द कर दिया गया था। एसजी ने पीठ को आगे बताया कि हाईकोर्ट ने उस फैसले में केजरीवाल के खिलाफ कड़ी निंदा की थी और उन पर जुर्माना लगाया था।
सुनवाई के दौरान एक समय सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल अपने बयान के लिए खेद व्यक्त करने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा,
"मौजूदा शिकायतकर्ता को बेपरवाह बयान देने और फिर माफी मांगने की आदत है। दिवंगत अरुण जेटली के समय से। उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए।"
सिंघवी ने कहा कि पूरा इरादा मानहानि मामले में दोषसिद्धि हासिल करके उन्हें राजनीतिक जीवन से अयोग्य ठहराना था।
सिंघवी ने कहा,
"विचार मुझे राजनीतिक जीवन से अयोग्य ठहराने का है...सब कुछ कार्यकारी प्रमुख की डिग्री मांगने के लिए है।"
उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि उन्हें खेद व्यक्त करने का बयान और एक चार्ट दाखिल करने का अवसर दिया जाए, जिसमें दिखाया जाए कि उनके बयान संजय सिंह के बयानों से किस तरह भिन्न हैं।
पीठ ने कहा कि वह सिंघवी को बहस करने की अनुमति दे सकती है, लेकिन चेतावनी दी कि एक बार बहस सुनने के बाद याचिकाकर्ता को मामला वापस लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। गुण-दोष के आधार पर निर्णय दिया जाएगा।
अंतत: सिंघवी ने अपनी बात मान ली और संजय सिंह के मामले में पारित आदेश के मद्देनजर मामले को खारिज कर दिया गया, बिना गुण-दोष पर विचार किए।
केस टाइटल- अरविंद केजरीवाल बनाम पीयूष एम. पटेल |डी नं. 11230/2024