सुप्रीम कोर्ट ने यूपी राज्य से कैदियों के डेटा पर NIC के ई-मॉड्यूल में अपलोड किए गए विवरण की जानकारी मांगी

Update: 2024-03-05 07:20 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा बनाए गए ई-मॉड्यूल पर अपलोड किए गए विवरण के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया।

इस ई-मॉड्यूल में प्रत्येक राज्य को दोषी की स्थिति, उसके द्वारा बिताए गए वर्षों की संख्या और ऐसे अन्य विवरण सहित आवश्यक जानकारी अपलोड करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, सभी राज्यों को इस ई-मॉड्यूल को अपनाना आवश्यक है।

जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने वर्ष 2021 में यूपी राज्य द्वारा लाई गई छूट नीति रद्द करने की मांग वाली अपील पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश पारित किया। इस नीति के अनुसार, छूट का लाभ केवल साठ साल की उम्र से ऊपर के दोषियों को ही दिया जा सकता है। दलील दी गई कि यह मनमाना और अवैध है।

हालांकि, रशीदुल जागर @ छोटा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2022 लाइव लॉ (एससी) 754 में अपने फैसले को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने रद्द करने के इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया।

इस मामले में न्यायालय ने कहा था:

“यह प्रतिबंध कि आजीवन कारावास की सजा पाने वाला व्यक्ति साठ वर्ष की आयु प्राप्त करने तक समय से पहले रिहाई के लिए पात्र नहीं है, जिसे 28 जुलाई 2021 की नीति द्वारा पेश किया गया। 27 मई, 2022 के संशोधन द्वारा हटा दिया गया। इसलिए समय से पहले रिहाई का कोई भी मामला नहीं होगा। उस आधार पर खारिज कर दिया जाए।”

बहरहाल, सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण की ओर से पेश वकील ने ई-मॉड्यूल के संबंध में पारित निर्देशों की ओर ध्यान दिलाया। वकील ने आगे बताया कि सभी राज्यों ने निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया है; हालांकि, अंतिम स्थिति अज्ञात है। इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को ई-मॉड्यूल पर अपलोड किए गए विवरण प्रस्तुत करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,

"ऐसी परिस्थितियों में हम उत्तर प्रदेश राज्य को NIC द्वारा तैयार किए गए ई-मॉड्यूल पर अब तक अपलोड किए गए विवरण प्रस्तुत करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।"

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