सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को 10-12 जून तक अपने दिवंगत पिता मुख्तार अंसारी के लिए प्राइवेट मेमोरियल सर्विस में शामिल होने की अनुमति दी

Update: 2024-05-15 08:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने जेल में बंद विधायक अब्बास अंसारी को 10 जून, 2024 को उनके दिवंगत पिता मुख्तार अंसारी की याद में रखी गई प्राइवेट मेमोरियल सर्विस में शामिल होने की अनुमति दे दी। मुख्तार अंसारी की 28 मार्च को आजीवन कारावास की सजा काटते समय दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने अंसारी की 11 जून और 12 जून, 2024 को अपने परिवार के सदस्यों और करीबी रिश्तेदारों के साथ समय बिताने की प्रार्थना स्वीकार कर ली, क्योंकि उनके पिता के निधन के बाद से परिवार को एक साथ रहने का मौका नहीं मिला।

साथ ही अदालत ने अंसारी की निजी प्रार्थना सेवा की तारीख पर निम्नलिखित अनुष्ठानों में शामिल होने की मांग भी स्वीकार कर ली-

1. कुरान-ख्वानी (उपस्थित लोगों द्वारा संपूर्ण कुरान का पाठ और उसके बाद मृतक के लिए प्रार्थना)।

2. मृतक की कब्र पर जाने के लिए और उसके बाद उस स्थान पर फातिहा आयोजित करने के लिए।

अदालत ने राज्य पुलिस को 13 जून को अंसारी को कासगंज जेल वापस ले जाने का निर्देश दिया। साथ ही अंसारी से कहा कि जब तक वह बाहर रहेगा, वह किसी भी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को संबोधित नहीं करेगा।

पिछली सुनवाई में अंसारी के वकील ने पीठ को निजी स्मारक सेवा में शामिल होने की अपनी इच्छा से अवगत कराया, क्योंकि वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सके थे।

अंसारी की ओर से पेश हुए एडवोकेट निज़ाम पाशा ने अदालत को सूचित किया कि निजी प्रार्थना सेवा सोमवार, 10 जून, 2024 को उत्तर प्रदेश के मोहम्मदाबाद, गाज़ीपुर में याचिकाकर्ता के घर पर उनके पिता की याद में आयोजित की जानी है, जिसमें केवल याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्य, उसके रिश्तेदार, घरेलू कर्मचारी, पड़ोसी और करीबी दोस्त शामिल होंगे।

गौरतलब है कि अब्बास अंसारी फिलहाल हथियार लाइसेंस मामले में जेल में हैं। पिछले साल नवंबर में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार किया कि नई दिल्ली में उनके परिसर से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए थे। हाईकोर्ट ने आगे अंसारी द्वारा गवाहों को प्रभावित करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के जोखिम का हवाला दिया।

हालांकि, वर्तमान याचिका शुरू में अंसारी को अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दायर की गई, लेकिन इसे समय पर सूचीबद्ध नहीं किया जा सका। यह निरर्थक हो गई, क्योंकि जब याचिका अदालत के समक्ष सूचीबद्ध हुई तो अंतिम संस्कार समारोह पहले ही हो चुका था।

पिछले महीने, अंसारी को अपने दिवंगत पिता के 'फातिहा समारोह' में शामिल होने की अनुमति दी गई।

साथ ही अदालत ने उन्हें अपने दिवंगत पिता की मृत्यु के 40वें दिन के उपलक्ष्य में आयोजित धार्मिक समारोह में वर्चुअली शामिल होने की भी अनुमति दे दी।

याचिकाकर्ता अब्बास अंसारी की ओर से एडवोकेट निज़ाम पाशा, एडवोकेट सिद्धार्थ कौशिक, अवस्तिका दास और सचिन दुबे की सहायता से उपस्थित हुए। याचिका एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड लज़फीर अहमद बीएफ द्वारा दायर की गई।

केस टाइटल: अब्बास अंसारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, डायरी नंबर 14377/2024

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