'ट्रायल कोर्ट' को 'निचली अदालत' कहना बंद करें: सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री से कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री से स्पष्ट रूप से कहा कि ट्रायल कोर्ट को 'निचली अदालत' के रूप में संदर्भित करना बंद करें।
जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की खंडपीठ ने कहा,
“यहां तक कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड को भी लोअर कोर्ट रिकॉर्ड (एलसीआर) के रूप में संदर्भित नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय, इसे ट्रायल कोर्ट रिकॉर्ड (टीसीआर) के रूप में संदर्भित किया जाना चाहिए।''
डिवीजन बेंच भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) की धारा 302 और धारा 307 के तहत अपीलकर्ताओं की सजा के खिलाफ आपराधिक अपील पर सुनवाई कर रही थी। रिकॉर्ड पर सबूतों का विश्लेषण करने के बाद ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
व्यथित अपीलकर्ताओं ने हाईकोर्ट के समक्ष इस आदेश पर आपत्ति जताई। उसमें न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष ने उचित संदेह से परे अपना मामला साबित किया। इस प्रकार, अपील खारिज करते हुए अदालत ने अपीलकर्ताओं को आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया। इस पृष्ठभूमि में मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया।
अपील पर गुरुवार (08 फरवरी) को सुनवाई बुलाई गई। कोर्ट ने रजिस्ट्री से ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड की सॉफ्ट कॉपी मांगी।
इसे दर्ज करने के बाद वर्तमान आदेश में न्यायालय ने यह भी कहा,
"यह उचित होगा यदि इस न्यायालय की रजिस्ट्री ट्रायल कोर्ट को 'निचली अदालतों' के रूप में संदर्भित करना बंद कर दे।"
अलग होने से पहले बेंच ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को इस आदेश पर ध्यान देने का भी निर्देश दिया।