पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह ओबीसी वर्गीकरण (OBC Classifications) को खत्म करने वाले हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की। पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार (20 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाने की मांग कर रही है, जिसमें सत्तर समुदायों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में वर्गीकृत करने का फैसला खारिज कर दिया गया था।
राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष मंगलवार को मामले का उल्लेख किया। सिब्बल ने कहा कि चूंकि मामले पर आज सुनवाई होने की संभावना नहीं है, इसलिए इसे किसी नजदीकी तारीख पर टाला जा सकता है। सीनियर एडवोकेट ने कहा कि राज्य हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग कर रहा है, क्योंकि कई लोग प्रवेश और नौकरी पाने के लिए कतार में हैं।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले पर अगले मंगलवार, 27 अगस्त को सुनवाई की जा सकती है। राज्य का प्रतिनिधित्व कर रही सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने अनुरोध किया कि मामले को बोर्ड के शीर्ष पर सूचीबद्ध किया जा सकता है, क्योंकि इसके लिए एक दिन की सुनवाई की आवश्यकता हो सकती है।
सीनियर एडवोकेट जयदीप गुप्ता ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग का प्रतिनिधित्व किया।
5 अगस्त को राज्य की विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी करते हुए न्यायालय ने 77 समुदायों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने के लिए किए गए सर्वेक्षण के बारे में डेटा और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के साथ परामर्श का विवरण मांगा था।
इस साल मई में हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था, जिसका असर 2010 के बाद जारी किए गए लगभग 5 लाख ओबीसी प्रमाणपत्रों पर पड़ने की संभावना है। हाईकोर्ट ने पाया कि ओबीसी वर्गीकरण उचित अध्ययन और पर्याप्त डेटा के बिना किया गया।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जो लोग अधिनियम के लाभ पर रोजगार प्राप्त कर चुके हैं। इस तरह के आरक्षण के कारण पहले से ही सेवा में हैं, वे आदेश से प्रभावित नहीं होंगे।
हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि ओबीसी घोषित किए गए अधिकांश वर्ग मुस्लिम हैं।
इस संबंध में इसने टिप्पणी की:
"इस न्यायालय का मानना है कि मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ा वर्ग के रूप में चुनना समग्र रूप से मुस्लिम समुदाय का अपमान है। इस न्यायालय को इस बात में कोई संदेह नहीं है कि उक्त समुदाय को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए वस्तु के रूप में माना गया। यह उन घटनाओं की श्रृंखला से स्पष्ट है, जिसके कारण 77 वर्गों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया। उन्हें वोट बैंक के रूप में शामिल किया गया। चुनावी लाभ के लिए सहायता समुदाय में वर्गों की ओबीसी के रूप में पहचान उन्हें संबंधित राजनीतिक प्रतिष्ठान की दया पर छोड़ देगी और अन्य अधिकारों को पराजित और अस्वीकार कर सकती है। इसलिए ऐसा आरक्षण लोकतंत्र और समग्र रूप से भारत के संविधान का भी अपमान है।"
केस टाइटल: पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य बनाम अमल चंद्र दास डायरी संख्या - 27287/2024