Rajasthan Civil Judge Exam 2024 : सुप्रीम कोर्ट ने कम अंकों वाले English Essay पेपर पेश करने का आदेश दिया

Update: 2024-10-18 09:55 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सिविल जज कैडर, 2024 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में नोटिस जारी करते हुए उन उत्तर पुस्तिकाओं को पेश करने का निर्देश दिया, जिनमें उम्मीदवारों को अंग्रेजी निबंध के लिए 15 अंक से कम अंक दिए गए।

याचिकाओं के अनुसार, आम दलील यह है कि उम्मीदवारों ने कुल मिलाकर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन आरोप है कि उन्हें अंग्रेजी निबंध लेखन पेपर में 50 में से 0 से 15 अंक तक अनुचित रूप से कम अंक दिए गए, जिससे उन्हें अंतिम साक्षात्कार चरण के लिए उचित पात्रता से वंचित कर दिया गया।

सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने बताया कि एक उम्मीदवार ने कानूनी लेखन परीक्षा में 40/100 अंक प्राप्त किए थे, जबकि उसे English Essay में 0 अंक दिए गए।

इस पर ध्यान देते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने निम्नलिखित आदेश पारित किए:

"हम सोमवार को वापस करने योग्य नोटिस जारी करेंगे, जिसे राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजने की स्वतंत्रता है।"

"English Essay की उत्तर पुस्तिकाएं जहां उम्मीदवारों को 15 से कम अंक दिए गए हैं, उन्हें अगले दिन अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।"

इससे पहले, जब याचिकाओं को जल्दी सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया गया तो सीजेआई ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि यदि कोई अनियमितता पाई जाती है तो इंटरव्यू पूरा होने के बावजूद अदालत प्रक्रिया को उलट देगी।

पृष्ठभूमि: सिविल जज कैडर के लिए भर्ती, 2024

राजस्थान हाईकोर्ट (भर्ती प्राधिकरण) ने राजस्थान न्यायिक सेवा नियम, 2010 के अनुपालन में सिविल जज कैडर में सीधी भर्ती के लिए 222 रिक्तियां खोली। चयन प्रक्रिया कठोर तीन-चरणीय प्रक्रिया का पालन करती है: एक प्रारंभिक परीक्षा, एक मुख्य परीक्षा और एक मौखिक परीक्षा (इंटरव्यू)। 31 अगस्त और 1 सितंबर, 2024 को आयोजित मुख्य परीक्षा के लिए अर्हता प्राप्त करने वाले लगभग 3,000 उम्मीदवारों में से केवल 638 उम्मीदवार ही इंटरव्यू चरण तक पहुंच पाए।

याचिका के लिए आधार: मूल्यांकन में विसंगतियां और पारदर्शिता की कमी

उम्मीदवारों का आरोप है कि 1 अक्टूबर, 2024 को मुख्य परीक्षा के परिणाम जारी होने के बाद उनके स्कोरकार्ड में विशेष रूप से अंग्रेजी निबंध पेपर में 0 से 15 के बीच बेवजह कम अंक दिखाए गए। यह अनियमित स्कोरिंग उनके अन्यथा मजबूत प्रदर्शन के बिल्कुल विपरीत है, जिससे याचिकाकर्ता साक्षात्कार कट-ऑफ तक पहुंचने में असमर्थ हो गए। निबंध लेखन की व्यक्तिपरक प्रकृति और भाषा के पेपर के लिए किसी भी न्यूनतम योग्यता अंक की अनुपस्थिति को देखते हुए याचिकाकर्ता इस बात पर जोर देते हैं कि इस अपारदर्शी मूल्यांकन पद्धति ने मनमाने परिणाम दिए हैं, जिससे उनके मौलिक अधिकार और करियर प्रभावित हुए।

याचिकाकर्ता प्रणव वर्मा और अन्य बनाम चंडीगढ़ में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और अन्य (2020) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हैं। उस मामले में न्यायिक सेवा परीक्षाओं में मनमाने मूल्यांकन के समान पैटर्न के कारण न्यायालय ने उत्तर पुस्तिकाओं की समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन के लिए स्वतंत्र समिति नियुक्त की, जिसने स्कोरिंग में अशुद्धियों का खुलासा किया। समान परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में समान स्वतंत्र समीक्षा अनिवार्य करने का आग्रह किया।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का निष्पक्ष पुनर्मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करे। उनका तर्क है कि त्रुटिपूर्ण मूल्यांकन प्रक्रिया अनुच्छेद 14 में निहित समान अवसर के उनके संवैधानिक अधिकार को कमजोर करती है और राजस्थान की न्यायपालिका में भर्ती में न्यायिक अखंडता को बनाए रखने के लिए एक पारदर्शी, निष्पक्ष प्रक्रिया आवश्यक है।

केस टाइटल: एमएस सोनल गुप्ता और अन्य बनाम रजिस्ट्रार जनरल राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर और अन्य | डायरी नंबर 47205/2024 और संबंधित मामले।

Tags:    

Similar News