गैर-वंशानुगत मंदिर ट्रस्टी की नियुक्ति के लिए जाति कोई बाधा नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-12-17 03:57 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस सिद्धांत को दोहराया कि मंदिरों के गैर-वंशानुगत ट्रस्टी के पदों पर चयन जाति-आधारित नहीं हो सकता।

जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ केरल हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मालाबार देवस्वोम बोर्ड (एमडीबी) के अंतर्गत नियंत्रित संस्थाओं देवस्वोम/मंदिरों में गैर-वंशानुगत ट्रस्टियों की पिछली नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया। हाईकोर्ट ने मद्रास हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ संस्थान अधिनियम के अनुसार नई नियुक्तियों के लिए निर्देश भी दिए।

वर्तमान याचिका में पूर्व में नियुक्त ट्रस्टियों द्वारा हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती दी गई।

हाईकोर्ट के उक्त निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि विवादित निर्णय में दिए गए निर्देश "भविष्य की नियुक्तियों के लिए याचिकाकर्ता(ओं) की पात्रता पर कोई असर नहीं डालेंगे।"

खारिज होने पर वर्तमान याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट पीवी दिनेश ने कहा कि चयन प्रक्रिया में पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।

इस पर न्यायालय ने कहा कि गैर-वंशानुगत ट्रस्टियों के चयन के विरुद्ध जाति बाधा नहीं बन सकती।

आदेश में कहा गया:

"हम यह स्पष्ट करते हैं कि ईश्वर ने नस्ल, धर्म, भाषा या जाति के आधार पर वर्गीकरण नहीं किया। ये सभी मानवीय रचनाएं हैं।"

"गैर-वंशानुगत ट्रस्टी के किसी भी चयन की स्थिति में किसी व्यक्ति की जाति कभी भी बाधा नहीं बन सकती। इस संबंध में क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत का कड़ाई से पालन करना होगा।"

केस टाइटल: विनोद कुमार एम.पी. और अन्य बनाम मालाबार देवस्वोम बोर्ड और अन्य | विशेष अनुमति अपील (सी) नंबर 29188/2024

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