PMLA Review | सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित की, मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को तय की
सुप्रीम कोर्ट ने विजय मदनलाल चौधरी के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई स्थगित की। उक्त याचिकाओं में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) के विभिन्न प्रावधानों को बरकरार रखा गया था। मामले में अगली तारीख 27 नवंबर तय की गई।
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की पीठ ने पक्षकारों के अनुरोध पर यह आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल आंशिक सुनवाई में मौजूद थे, जबकि ED के वकील जोहेब हुसैन ने जवाब दिया कि ED अनुरोध का विरोध नहीं कर रहा है।
यह मामला पहली बार 7 अगस्त को सूचीबद्ध किया गया था और तब से स्थगित हो रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
वीएमसी का फैसला 27 जुलाई, 2022 को जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ द्वारा सुनाया गया था।
इस निर्णय के माध्यम से धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA ) के कुछ प्रावधानों को बरकरार रखा गया। इनमें शामिल हैं -
(i) PMLA की धारा 5, 8(4), 15, 17 और 19, जो प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी, कुर्की, तलाशी और जब्ती की शक्ति से संबंधित हैं।
(ii) PMLA की धारा 24, जो सबूत के रिवर्स बर्डन से संबंधित है (इस संबंध में, न्यायालय ने कहा कि प्रावधान का अधिनियम के उद्देश्यों के साथ "उचित संबंध" है)।
(iii) PMLA की धारा 45, जो जमानत के लिए "दोहरी शर्तें" प्रदान करती है (इस संबंध में, यह कहा गया था कि संसद 2018 में निकेश ताराचंद शाह में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी प्रावधान को संशोधित करने के लिए सक्षम थी, जिसने शर्तों को खारिज किया)।
इस निर्णय के बाद वर्तमान पुनर्विचार याचिकाएं (नंबर में 8) दायर की गईं।
जस्टिस खानविलकर के रिटायर होने के बाद तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना ने याचिकाओं पर विचार करने के लिए पीठ की अध्यक्षता की। 25 अगस्त, 2022 को नोटिस जारी करते हुए सीजेआई रमना की अगुवाई वाली पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि फैसले के कम से कम दो निष्कर्षों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है - पहला, प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ECIR; मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में FIR के बराबर) की प्रति अभियुक्त को नहीं दी जानी चाहिए, और दूसरा, निर्दोषता के अनुमान को उलटने का अधिकार बरकरार रखना।
इसके बाद न्यायालय ने पुनर्विचार याचिकाओं की ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए आवेदन को अनुमति दी। नोटिस जारी होने के बाद से याचिकाओं को पहली बार 7 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
इस तिथि पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर मामले को स्थगित करना पड़ा, जिन्होंने तैयारी और बहस के लिए कुछ समय मांगा। इसके बाद उल्लेख के अनुसार, मामले को 18 सितंबर को सूचीबद्ध किया गया, लेकिन 16 अक्टूबर के लिए फिर से सूचीबद्ध किया गया। उक्त तिथि पर जस्टिस कांत के अवकाश पर होने के कारण इस पर सुनवाई नहीं हो सकी।
केस टाइटल: कार्ति पी चिदंबरम बनाम प्रवर्तन निदेशालय | आरपी (सीआरएल) 219/2022 (और संबंधित मामले)