रिट कार्यवाही का लंबित रहना वैकल्पिक वैधानिक उपायों का लाभ न उठाने का कोई आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-11-15 15:51 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिट याचिका के लंबित रहने मात्र से वादियों को विशेष कानूनों के तहत प्रदान किए गए वैकल्पिक समयबद्ध उपायों का उपयोग करने के उनके दायित्व से मुक्ति नहीं मिलती।

जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ ने एक वादी द्वारा दायर अपील खारिज की, जिसने अपनी संपत्ति की नीलामी को चुनौती देने के लिए तमिलनाडु राजस्व वसूली अधिनियम, 1864 के तहत वैकल्पिक वैधानिक उपाय होने के बावजूद, एक रिट याचिका के माध्यम से मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प चुना। अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि अधिनियम के तहत एक अलग आवेदन दायर करना अनावश्यक है, क्योंकि हाईकोर्ट ने रिट कार्यवाही में पहले ही 'बिक्री की पुष्टि' पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश दे दिया था।

अपीलकर्ता की रिट याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए जस्टिस पंचोली द्वारा लिखित फैसले में कहा गया,

"अपीलकर्ता द्वारा विशिष्ट वैधानिक व्यवस्था का लाभ उठाने में विफलता को केवल इसलिए माफ नहीं किया जा सकता, क्योंकि हाईकोर्ट के समक्ष समानांतर कार्यवाही लंबित थी।"

इसके अलावा, कोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतर भी रेखांकित किया, जो अपीलकर्ता के मामले के लिए घातक साबित हुआ। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने "बिक्री की पुष्टि पर रोक" लगाते हुए अंतरिम आदेश जारी किया, लेकिन नीलामी के संचालन पर रोक लगाने वाला कोई आदेश नहीं था।

कोर्ट ने कहा,

"29.07.2005 को हुई नीलामी किसी भी मौजूदा न्यायिक प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं थी।"

इस बात पर ज़ोर दिया कि अधिकारियों ने नीलामी जारी रखकर अपने अधिकारों के भीतर काम किया। अपीलकर्ता का यह मानना ​​कि पूरी प्रक्रिया स्थगित कर दी गई, अदालत के सीमित आदेश की "गलत" व्याख्या पर आधारित था।

अदालत ने आगे कहा,

"(बिक्री की) पुष्टि पर रोक राजस्व वसूली अधिनियम की धारा 37-ए या 38 के अनुसार 30 दिनों के भीतर निवारण प्राप्त करने के वैधानिक दायित्व को निलंबित नहीं करती है।"

राजस्थान हाउसिंग बोर्ड एवं अन्य बनाम कृष्णा कुमारी, (2005) 13 एससीसी 151 का हवाला देते हुए अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतरिम संरक्षण का उपयोग वसूली की वैधानिक प्रक्रियाओं को विफल करने के लिए नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह भी बताया कि बिक्री की पुष्टि पर अंतरिम रोक अपीलकर्ता को अधिनियम के तहत वैधानिक उपाय का लाभ उठाने से नहीं रोकती।

तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई।

Cause Title: KOLANJIAMMAL (D) THR LRS. VERSUS THE REVENUE DIVISIONAL OFFICER PERAMBALUR DISTRICT & ORS.

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