PC Act | धारा 319 CrPC के तहत लोक सेवक को अतिरिक्त आरोपी के रूप में बुलाने के लिए मंजूरी आवश्यक : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि अभियोजन स्वीकृति के अभाव में न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत लोक सेवक द्वारा किए गए अपराध का संज्ञान नहीं ले सकता।
कोर्ट ने कहा कि यह शर्त दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत लोक सेवक को अतिरिक्त आरोपी के रूप में बुलाने पर भी लागू होती है।
कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) की धारा 19 की अनिवार्य आवश्यकता का पालन किए बिना आरोपी को धारा 319 सीआरपीसी (अब BNSS की धारा 358) के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए नहीं बुलाया जा सकता।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की खंडपीठ ने कहा,
“कानून की यह सुस्थापित स्थिति है कि न्यायालय PC Act की धारा 7,11,13 और 15 के तहत किए गए अपराधों के लिए किसी लोक सेवक के खिलाफ संज्ञान नहीं ले सकता। यहां तक कि CrPC की धारा 319 के तहत आवेदन पर भी PC Act की धारा 19 की आवश्यकताओं का पालन किए बिना ही कार्रवाई की जा सकती है। यहां, सही प्रक्रिया यह होनी चाहिए थी कि अभियोजन पक्ष सीआरपीसी की धारा 319 के तहत न्यायालय के समक्ष औपचारिक रूप से आवेदन प्रस्तुत करने से पहले उचित सरकार से पीसी अधिनियम की धारा 19 के तहत मंजूरी प्राप्त करता।"
वर्तमान मामले में लोक अभियोजक द्वारा प्रस्तुत धारा 319 (CrPC) आवेदन स्वीकार करते समय ट्रायल कोर्ट ने मंजूरी के प्रश्न पर विचार नहीं किया। PC Act की धारा 19 की अनिवार्य आवश्यकता का पालन न करने के कारण ट्रायल कोर्ट के निर्णय को हाईकोर्ट ने पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, राज्य का रुख यह था कि इस मंजूरी की कोई आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि CrPC की धारा 319 के तहत न्यायालय में ही संज्ञान लिया गया।
इस तरह के तर्क को खारिज करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट को पूर्व मंजूरी पर जोर देना चाहिए था, जो उसने नहीं किया, इसलिए मंजूरी के अभाव में पूरी प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण रही।
कोर्ट ने सुरिंदरजीत सिंह मंड बनाम पंजाब राज्य के फैसले का संदर्भ लिया, जहां यह माना गया कि उचित प्राधिकारी से मंजूरी अनिवार्य शर्त है, भले ही दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत लोक सेवक के खिलाफ अपराध का संज्ञान लिया गया हो।
चूंकि, ट्रायल कोर्ट ने PC Act की धारा 19 की आवश्यकताओं का पालन नहीं किया और PC Act के तहत अपराध का संज्ञान लेने के लिए लोक सेवक के खिलाफ कार्यवाही की, इसलिए कोर्ट ने तदनुसार हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी।
केस टाइटल: पंजाब राज्य बनाम प्रताप सिंह वेरका