सिर्फ़ माता-पिता का वर्क-फ़्रॉम-होम स्टेटस बच्चे की कस्टडी तय नहीं कर सकता: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-12-04 04:39 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ़ इसलिए कि कोई माता-पिता घर से काम कर रहा है, उसे बच्चे की कस्टडी का हक़ नहीं मिल जाता। कोर्ट ने ज़ोर देकर कहा कि माता-पिता हमेशा बच्चे के साथ मौजूद नहीं रह सकते। साथ ही उन्हें रोज़ी-रोटी कमाने के लिए बाहर जाना पड़ता है, जिससे माता-पिता को बच्चे की कस्टडी लेने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने पिता को कस्टडी दिए जाने को चुनौती देने वाली माँ की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा,

"इसलिए हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि अगर एक माता-पिता घर से काम कर रहा है और दूसरा नहीं (यानी, उसे काम के लिए अपने ऑफिस जाना पड़ता है) तो यह माना जाना चाहिए कि बच्चे का फ़ायदा तब ज़्यादा होगा जब उसे ऐसे व्यक्ति की कस्टडी में रखा जाए जो काम के लिए ऑफिस नहीं जाता।"

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पिता को कस्टडी इस आधार पर दी थी कि उनके वर्क-फ़्रॉम-होम अरेंजमेंट से बच्चे का फ़ायदा ज़्यादा होगा। हालांकि, कोर्ट ने बच्चे की भलाई को देखते हुए बच्चे की कस्टडी रेस्पोंडेंट-पिता को देने के हाई कोर्ट के आखिरी फैसले में कोई बदलाव करने से मना कर दिया, क्योंकि बच्चा अपने पिता का साथ छोड़ने को तैयार नहीं था और उसे अपने दादा का साथ चाहिए, लेकिन वह हाई कोर्ट की इस बात से सहमत नहीं था कि कस्टडी सिर्फ इसलिए दे दी जानी चाहिए क्योंकि माता-पिता घर से काम करते हैं।

कोर्ट ने कहा,

“ज़रूरी बात यह है कि अर्जुन के साथ हमारी बातचीत से हमने देखा कि वह अपने पिता का साथ छोड़ने को तैयार नहीं था। हमने इस बात पर भी ध्यान दिया कि उसके पिता के घर पर अर्जुन के दादा समेत कुछ बड़े सदस्य हैं जो बच्चे को साथ दे रहे हैं। ऐसे हालात में यह देखते हुए कि लड़का अब पांच साल से ज़्यादा का हो गया और वह उसी स्कूल में है जहां वह पहले पढ़ता था और उसे अपने पिता से कोई दिक्कत नहीं है और वह अपने पिता का साथ छोड़ने को तैयार नहीं है, हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने की ज़रूरत नहीं है।”

कोर्ट ने आगे कहा,

“इसलिए हमें विवादित ऑर्डर के ऑपरेटिव हिस्से (पिता को कस्टडी देना) में कोई बदलाव करने का कोई अच्छा कारण नहीं मिला।”

Cause Title: POONAM WADHWA VERSUS AJAY WADHWA & ORS.

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