NEET-UG 2024 विवाद के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (20 जून) को दोहराया कि वह काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक नहीं लगा रहा है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की वेकेशन बेंच ने कहा, "हम काउंसलिंग पर रोक नहीं लगा रहे हैं।"
मेडिकल एडमिशन के लिए NEET-UG परीक्षा के संचालन और मूल्यांकन में पेपर लीक और विसंगतियों का आरोप लगाने वाली रिट याचिकाओं के बैच पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि यह समझा जा चुका है कि एडमिशन प्रक्रिया याचिकाओं के अंतिम परिणाम के अधीन होगी।
बेंच ने यह तब कहा जब वकील ने आदेश में यह देखने का आग्रह किया कि एडमिशन प्रक्रिया याचिकाओं के परिणाम के अधीन होगी।
आदेश में इस तरह की स्पष्ट टिप्पणी करने से इनकार करते हुए जस्टिस नाथ ने मौखिक रूप से कहा,
"यह पहले से ही समझा जा चुका है, मिस्टर वकील। यह सब पहले दिन से ही तर्क दिया जा रहा है। वे काउंसलिंग पर रोक चाहते थे, हमने इनकार कर दिया। आखिरकार अगर आप सफल होते हैं तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। अगर परीक्षा पास हो जाती है तो काउंसलिंग भी बंद हो जाएगी।"
वकील ने 67 स्टूडेंट द्वारा 720 के पूरे अंक प्राप्त करने पर संदेह जताया, इसे "अभूतपूर्व" बताया। उन्होंने कहा कि 680 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले सभी उम्मीदवारों की शैक्षणिक पृष्ठभूमि की जांच होनी चाहिए।
अन्य वकील ने मेघालय के परीक्षा केंद्र में कुछ स्टूडेंट द्वारा परीक्षा के दौरान 40-45 मिनट का समय गंवाने का मुद्दा उठाया। उस याचिका पर भी नोटिस जारी किया गया। एक अन्य याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि कुछ MCQ प्रश्न गलत थे।
वेकेशन बेंच ने अन्य याचिकाकर्ता के 1563 स्टूडेंट (जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए) के लिए दोबारा परीक्षा पर रोक लगाने के अनुरोध को भी अस्वीकार किया, जो 23 जून को निर्धारित है। अन्य याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कथित पेपर लीक के मामलों की जांच पर बिहार और गुजरात पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगने का अनुरोध किया।
इन याचिकाओं पर अगली सुनवाई 8 जुलाई को उन संबंधित मामलों के साथ होगी, जिन पर पहले केंद्र और एनटीए से जवाब मांगा गया। याचिकाओं में NEET-UG 2024 परीक्षा रद्द करने और 4 जून को घोषित परिणामों की मांग की गई। याचिकाकर्ताओं ने फिर से परीक्षा आयोजित करने की भी मांग की।
गौरतलब है कि 18 जून को न्यायालय ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) से कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि NEET-UG 2024 परीक्षा आयोजित करने में '0.001% लापरवाही' को भी पूरी गंभीरता से देखा जाए, क्योंकि देश भर में परीक्षा की तैयारी के लिए उम्मीदवारों ने बहुत मेहनत की है।
जस्टिस भट्टी ने कहा,
"अगर किसी की ओर से 0.001% भी लापरवाही हुई है तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए। इन सभी मामलों को विरोधात्मक मुकदमेबाजी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।"
जस्टिस भट्टी ने यह भी कहा कि परीक्षा में धोखाधड़ी करने के बाद डॉक्टर बनने वाला उम्मीदवार समाज के लिए अधिक खतरनाक है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश इस अत्यधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षा के लिए उम्मीदवारों द्वारा की गई कड़ी मेहनत के प्रति सचेत हैं।
उन्होंने आगे कहा,
"ऐसी स्थिति की कल्पना करें, जहां सिस्टम के साथ धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति डॉक्टर बन गया, वह समाज के लिए अधिक हानिकारक है। हम सभी जानते हैं कि इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए बच्चे कितनी मेहनत करते हैं।"
जस्टिस भट्टी ने यह भी कहा कि NTA को सक्रिय रूप से कार्य करना चाहिए और अगर कोई गलती है तो उसे स्वीकार करना चाहिए। इससे लोगों का NEET-UG परीक्षाओं में विश्वास फिर से बढ़ेगा।
कोर्ट ने कहा,
"आपका रुख (NTA और यूनियन) उस समय नहीं बदलना चाहिए, जब आप अदालत में प्रवेश करते हैं, उस एजेंसी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो परीक्षा आयोजित करने के लिए जिम्मेदार है। आपको दृढ़ रहना चाहिए- अगर कोई गलती है, हां गलती है, तो हम यही कार्रवाई करेंगे- कम से कम इससे आपके प्रदर्शन में विश्वास पैदा होता है। अगर कोई अपने सामने सिर्फ टेबल रखता है तो अधिकांश उम्मीदवारों के प्रदर्शन का पता लगाता है, कोई भी आसानी से समझ सकता है कि कहां गलती हुई है, कितने सेल फोन का इस्तेमाल किया गया। स्पष्ट रूप से हम प्रतिक्रिया करते हैं, लेकिन छुट्टियों में हम धीरे-धीरे प्रतिक्रिया करते हैं।"
केस टाइटल: तन्मय शर्मा और अन्य बनाम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी डब्ल्यू.पी. (सी) नंबर 383/2024 और अन्य समान मामले