विश्वविद्यालयों को UGC के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालयों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।
यह टिप्पणी कोर्ट ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से जुड़े एक मामले का निपटारा करते हुए की।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र और जस्टिस विपुल एम. पंचोली की खंडपीठ 2013 में सहायक प्रोफेसरों की नियुक्तियों से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता धर्मेंद्र कुमार और बृजेश कुमार तिवारी ने इन नियुक्तियों को पारदर्शिता के अभाव और UGC विनियम, 2013—जिनमें 50% वेटेज अकादमिक रिकॉर्ड, 30% शिक्षण कौशल और केवल 20% इंटरव्यू को दिया जाना है—के अनुरूप न होने के आधार पर चुनौती दी थी।
मामला क्या था?
2013 में BHU ने वाणिज्य विभाग में सहायक प्रोफेसरों की भर्ती हेतु इंटरव्यू आयोजित किए। याचिकाकर्ता बृजेश के अनुसार 400 उम्मीदवारों में वे सभी मेरिट मापदंडों—API स्कोर, क्वालिटी स्कोर, स्क्रीनिंग स्कोर और टीचिंग एबिलिटी स्कोर—में पहले स्थान पर थे। इसके बावजूद उन्हें नियुक्त नहीं किया गया और प्रतीक्षा सूची में रखा गया, जबकि कम मेरिट वाले उम्मीदवारों को इंटरव्यू के आधार पर नियुक्त किया गया। कृषि विभाग में भी धर्मेंद्र के मामले में यही आरोप था।
बृजेश ने 2014 में रिट दायर की, जिसे 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके बाद उन्होंने विशेष अनुमति याचिका दायर की। 2016 में जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस ए.एम. सप्रे की पीठ ने नोटिस जारी कर नियुक्तियों पर स्टेटस को बनाए रखने का आदेश दिया।
बाद की स्थिति
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की वकील वंशजा शुक्ला ने कोर्ट को बताया कि बृजेश अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में प्रोफेसर हैं और धर्मेंद्र बांदा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर हैं, इसलिए वे अब इस मुकदमे को आगे नहीं बढ़ाना चाहते।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का हवाला देते हुए कहा कि एक बार राज्य UGC विनियम अपना ले, तो उसका पालन अनिवार्य होता है। उन्होंने बताया कि BHU ने 2010 में UGC के न्यूनतम योग्यता विनियम अपनाए थे और समय-समय पर संशोधित विनियम भी अपनाए।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
इन प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने अपीलें निपटा दीं और यह टिप्पणी की कि आगे से BHU में चयन प्रक्रिया UGC विनियमों के अनुसार ही संचालित होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा—
“यह कहने की आवश्यकता नहीं कि उत्तरदाता विश्वविद्यालय या कोई अन्य विश्वविद्यालय, जो UGC विनियम, 2013 (समय-समय पर संशोधित) के अधीन संचालित होते हैं, उन विनियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।”