PG और हॉस्टल को किराये पर देने पर भी लागू होगी GST छूट: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-12-04 16:35 GMT

एक महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आवासीय मकान के किराये पर मिलने वाली GST छूट तब भी लागू होगी जब किरायेदार उस संपत्ति को आगे सब-लीज़ देकर हॉस्टल या पेइंग गेस्ट (PG) आवास उपलब्ध कराए। कोर्ट ने कहा कि 28 जून 2017 की GST छूट अधिसूचना (एंट्री 13, नोटिफिकेशन 9/2017) में यह अनिवार्य नहीं है कि किरायेदार स्वयं उस संपत्ति का उपयोग निवास के रूप में करे, बल्कि अंतिम उपयोग आवासीय होना पर्याप्त है।

जस्टिस जे.बी. पारडीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने यह निर्णय कर्नाटक स्थित एक चार मंजिला आवासीय भवन से जुड़े विवाद में सुनाते हुए दिया। यह भवन 42 कमरों वाला था, जिसे मालिक ने M/s DTwelve Spaces Pvt. Ltd. को किराये पर दिया था। कंपनी छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को लंबे समय के लिए हॉस्टल/PG आवास उपलब्ध कराती है।

कर विभाग का कहना था कि किरायेदार एक व्यावसायिक कंपनी है और स्वयं भवन में नहीं रहती, इसलिए यह लेनदेन 18% GST के दायरे में आएगा। AAR और AAAR ने भी इस व्याख्या को सही माना था। हालांकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने इन आदेशों को निरस्त करते हुए GST छूट को मान्य माना, जिसके विरुद्ध राजस्व विभाग ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मुख्य प्रश्न यह था कि क्या किसी आवासीय संपत्ति को ऐसे एग्रीगेटर को किराये पर देना, जो इसे आगे कई व्यक्तियों को लंबे समय के ठहराव के लिए देता है, “renting of residential dwelling for use as residence” की श्रेणी में आता है।

कोर्ट ने 'residential dwelling' शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि सामान्य अर्थ में यह किसी ऐसे भवन को कहा जाता है जिसमें कोई व्यक्ति रहने, सोने या निवास के उद्देश्य से रहता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लंबे समय के लिए हॉस्टल या PG आवास भी इसी श्रेणी में आते हैं। इसलिए, संबंधित भवन का उपयोग आवासीय माना जाएगा और GST छूट लागू होगी।

खंडपीठ ने यह भी कहा कि यह छूट activity-specific है, न कि person-specific—अर्थात अंतिम उपयोग आवासीय होना ही मुख्य मानदंड है।

निर्णय में 2022 के उस संशोधन का भी उल्लेख किया गया जिसमें एंट्री 18 में बदलाव कर यह प्रावधान किया गया कि GST-registered व्यक्ति को आवासीय भवन किराये पर देने पर छूट लागू नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन पूर्व प्रभाव (retrospective) से लागू नहीं हो सकता।

इस प्रकार, 2022 से पहले की गई ऐसी सभी लीज़ व्यवस्थाओं पर GST छूट उपलब्ध रहेगी। यह फैसला देशभर में PG, हॉस्टल, को-लिविंग सेक्टर और मकान मालिकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


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