NDPS | स्वतंत्र गवाहों की गैरमौजूदगी, धारा 52-A की कमियां जानलेवा नहीं अगर रिकवरी और जानबूझकर कब्ज़ा साबित हो जाए: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-12-11 13:52 GMT

23.5 किलो गांजा रखने के आरोप में दोषी ठहराई गई एक महिला की अपील खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 दिसंबर) को कहा कि जब्ती के दौरान स्वतंत्र गवाहों की गैरमौजूदगी अभियोजन पक्ष के लिए जानलेवा नहीं है, जब तक कि पुलिस गवाह रिकवरी के बारे में लगातार और विश्वसनीय सबूत देते हैं। कोर्ट ने आगे साफ किया कि NDPS Act की धारा 52-A के तहत सैंपलिंग में सिर्फ प्रक्रियात्मक कमियां अभियोजन पक्ष को खराब नहीं करतीं, जब तक कि वे जब्त किए गए प्रतिबंधित सामान की अखंडता से समझौता न करें।

जस्टिस संजय करोल और जस्टिस विपुल एम पंचोली की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की, जिसमें अपीलकर्ता-दोषी ने जब्ती और सैंपलिंग की प्रक्रिया के दौरान किए गए कथित प्रक्रियात्मक दोषों के आधार पर बरी किए जाने की मांग की थी, क्योंकि पुलिस ने एक स्वतंत्र गवाह की गैरमौजूदगी में एक सूचना के आधार पर प्रतिबंधित सामान जब्त किया, इसके अलावा, NDPS Act की धारा 52-A के विपरीत, प्रतिबंधित सामान की सैंपलिंग कथित तौर पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी के बिना मौके पर ही की गई।

उनकी सज़ा बरकरार रखते हुए जस्टिस पंचोली द्वारा लिखे गए फैसले में कहा गया कि जहां पुलिस गवाह लगातार और विश्वसनीय गवाही देते हैं, वहां स्वतंत्र गवाहों की गैरमौजूदगी जानलेवा नहीं है।

इसके अलावा, भारत अम्बाले बनाम छत्तीसगढ़ राज्य, 2025 LiveLaw (SC) 84 मामले का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा,

“धारा 52-A का सिर्फ पालन न करना या देरी से पालन करना जानलेवा नहीं है, जब तक कि अनियमितता से ऐसी विसंगतियां पैदा न हों जो जब्त किए गए पदार्थ की अखंडता को प्रभावित करती हों या अभियोजन पक्ष के मामले को संदिग्ध बनाती हों। इसी तरह अगर कुछ प्रक्रियात्मक कमी दिखाई भी देती है तो भी अगर बाकी मौखिक या दस्तावेजी सबूत जब्ती और जानबूझकर कब्जे के बारे में विश्वास दिलाते हैं, तो भी सज़ा बरकरार रखी जा सकती है।”

चूंकि सैंपल ठीक से सील किए गए, मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए गए, FSL भेजे गए और बिना किसी छेड़छाड़ के जांच की गई, और फोरेंसिक विशेषज्ञ ने दोनों सील के सही होने और कैनबिनोइड्स की मौजूदगी की पुष्टि की थी, इसलिए कोर्ट ने कहा कि NDPS Act की धारा 52-A के तहत सटीक प्रक्रिया का पालन न करना, अपने आप में अभियोजन पक्ष के मामले को कमजोर नहीं करता है।

कोर्ट ने कहा,

"इन हालात में धारा 52-A के तहत बताए गए आदर्श प्रोसीजर से कुछ विचलन को भी मान लिया जाए तो भी यह अनियमितता मामले की जड़ तक नहीं जाती और न ही इससे जब्त किए गए गैर-कानूनी सामान की प्रामाणिकता या जांच किए गए सैंपल की पहचान के बारे में कोई वाजिब शक पैदा होता है। अभियोजन पक्ष ने कानूनी ज़रूरतों का काफी हद तक पालन किया और मटेरियल सबूत की अखंडता पूरी तरह से सुरक्षित है। इसलिए धारा 52-A का पालन न करने पर आधारित अपीलकर्ता की दलील खारिज की जाती है।"

नतीजतन, अपील खारिज कर दी गई।

Cause Title: JOTHI @ NAGAJOTHI VERSUS THE STATE

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