मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल लापरवाही के सवाल का निर्धारण करने के लिए पुलिस रिकॉर्ड देख सकता है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि मोटर दुर्घटना दावा मामलों में, लापरवाही के सवाल का निर्धारण करने के लिए ट्रिब्यूनल/न्यायालय द्वारा पुलिस रिकॉर्ड देखे जा सकते हैं।
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की खंडपीठ ने मंगला राम बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य (2018) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि मोटर दुर्घटना मामलों में जांच के दौरान पुलिस द्वारा एकत्र किए गए आरोप पत्र और अन्य दस्तावेजों पर भरोसा किया जा सकता है।
मंगला राम मामले में यह माना गया कि चालक के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना प्रथम दृष्टया लापरवाही और जल्दबाजी में वाहन चलाने में उसकी मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
खंडपीठ ने कहा,
"इस स्थिति के संबंध में कोई विवाद नहीं हो सकता है कि मोटर वाहन दुर्घटना दावे में अवार्ड पारित करने के लिए आवश्यक लापरवाही के बारे में प्रश्न पर न्यायाधिकरण के समक्ष उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर विचार किया जाना चाहिए। यदि पुलिस रिकॉर्ड न्यायाधिकरण के समक्ष उपलब्ध हैं तो अधिनियम के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि इस पर गौर किया जा रहा है।"
न्यायालय ने मोटर दुर्घटना मुआवजा मामले में हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ एक बीमाकर्ता द्वारा दायर अपील खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं। यहां ट्रिब्यूनल ने अपराधी वाहन के चालक के खिलाफ दायर फाइनल रिपोर्ट पर भरोसा किया।
हाईकोर्ट ने न्यायाधिकरण द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं पाया। न्यायालय ने मैथ्यू अलेक्जेंडर बनाम मोहम्मद शफी और अन्य (2023) के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि दावेदारों को केवल संभावनाओं की प्रबलता की कसौटी पर अपना मामला स्थापित करने की आवश्यकता है।
केस टाइटल: आईसीआईसी लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम रजनी साहू