'कानून पहले से ही मौजूद है': सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए याचिका पर विचार करने से किया इनकार

Update: 2024-07-12 09:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार किया, यह देखते हुए कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कानून पहले से ही मौजूद हैं।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता हिंसा के विशेष मामलों के संबंध में संबंधित अदालतों में जाने के लिए स्वतंत्र हैं।

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संजीव कुमार की पीठ दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट विजय हंसारिया ने कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बार-बार हो रही हैं।

हालांकि, जस्टिस खन्ना ने कहा कि इस मुद्दे से निपटने के लिए कानून पहले से ही मौजूद हैं।

जस्टिस खन्ना ने कहा,

"मैं हाल ही में अस्पताल गया, मैंने वहां तख्तियां देखीं, जिन पर लिखा कि डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा एक गंभीर अपराध है।"

हंसारिया ने कहा कि चिंता निवारक उपाय करने को लेकर थी।

जस्टिस खन्ना ने कहा,

"हम कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते।"

जस्टिस खन्ना ने कहा,

"हर अस्पताल और हर अस्पताल में एक पुलिस अधिकारी होता है।"

इस पर हंसारिया ने जवाब दिया कि सभी अस्पतालों में ऐसी स्थिति नहीं है, खासकर ग्रामीण इलाकों में स्थित अस्पतालों में।

जस्टिस खन्ना ने कहा,

"कानून पहले से ही मौजूद है, जो कोई भी हिंसा में लिप्त होता है, उसके साथ आईपीसी के अनुसार व्यवहार किया जाना चाहिए। केवल क्रियान्वयन का सवाल है।"

याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए पीठ ने निम्नलिखित आदेश दिया:

"हम याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। यदि किसी विशेष मामले में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो डॉक्टरों का याचिका संघ सक्षम न्यायालय के समक्ष उक्त मामले को उठा सकता है।"

2021 में दायर याचिका में मेडिकल पेशेवरों/स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा की मांग की गई, जिन पर अक्सर मरीजों के असंतुष्ट परिवार के सदस्यों द्वारा हमला किया जाता है और उनकी हत्या कर दी जाती है।

याचिका में कहा गया कि वर्तमान में मेडिकल पेशेवरों आदि की सुरक्षा के लिए कोई ठोस केंद्रीय कानून नहीं है। इसलिए याचिका में उक्त श्रेणी के व्यक्तियों के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए 24X7 सुरक्षा प्रणाली स्थापित करने के लिए दिशा-निर्देश मांगे गए हैं। इस संबंध में यह सुझाव दिया जाता है कि प्रत्येक राज्य सरकार का स्वास्थ्य विभाग संकट चेतावनी सॉफ्टवेयर विकसित कर सकता है, जिसके माध्यम से कमजोर मेडिकल पेशेवर निकटतम पुलिस स्टेशनों को एसओएस सिग्नल भेज सकते हैं।

केस टाइटल: दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन बनाम भारत संघ | डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 725/2021

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