India's Got Latent| 'कुछ लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लेख लिख रहे हैं; हमें पता है उन्हें कैसे निपटना है': जस्टिस सूर्यकांत

Update: 2025-03-03 12:10 GMT

यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया के खिलाफ 'अश्लील' टिप्पणियों को लेकर दर्ज एफआईआर पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने उन लेखों पर असहमति जताई, जिनमें इलाहाबादिया के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की निंदा की गई थी और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन किया गया था।

यह मामला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की खंडपीठ के समक्ष था।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा

"हम जानते हैं कि कुछ लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर लेख लिख रहे हैं, हमें यह भी पता है कि उन्हें कैसे संभालना है, इस देश में ऐसा कुछ नहीं है कि मौलिक अधिकार किसी को थाली में परोसकर मिल जाए, सभी मौलिक अधिकारों के साथ एक कर्तव्य भी जुड़ा होता है, जब तक वे लोग अपने कर्तव्य को नहीं समझेंगे, तब तक ऐसे तत्वों से निपटने की जरूरत होगी, अगर कोई मौलिक अधिकारों का आनंद लेना चाहता है, तो यह देश उसे इसकी गारंटी देता है, लेकिन यह गारंटी एक कर्तव्य के साथ आती है, और उस गारंटी के साथ उस कर्तव्य को निभाना भी जरूरी है।"

अदालत ने रणवीर इलाहाबादिया पर यह शर्त लगाई कि वह भविष्य में अपने शो में किसी भी विचाराधीन (sub-judice) मामले पर टिप्पणी नहीं करेंगे।

जस्टिस कांत ने इस दौरान मामले में एक सह-आरोपी द्वारा कनाडा में एक शो के दौरान किए गए "मजाक" का भी संज्ञान लिया।

जस्टिस कांत ने कहा,

"ये युवा जरूरत से ज्यादा होशियार बनने की कोशिश कर रहे हैं, शायद उन्हें लगता है कि हम पुरानी पीढ़ी के हैं, उनमें से एक कनाडा चला गया और वहां बयान दिया, उन्हें यह नहीं पता कि इस अदालत का क्षेत्राधिकार कितना व्यापक है और हम क्या कर सकते हैं, हम ऐसा नहीं करना चाहते क्योंकि वे युवा हैं, हम समझते हैं"

अदालत ने रणवीर इलाहाबादिया पर भविष्य में शो प्रसारित करने पर लगाई गई पहले की पाबंदी हटा दी।

इसके साथ ही, अदालत ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अश्लीलता के खिलाफ एक नियामक तंत्र (regulatory mechanism) की आवश्यकता पर विचार करने के लिए कार्यवाही के दायरे को भी विस्तारित किया।

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