'व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामले में हर दिन मायने रखता है': सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से नियमित जमानत याचिका पर जल्द फैसला करने को कहा
इस बात पर जोर देते हुए कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में देरी का हर दिन मायने रखता है, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (17 मई) को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता की जमानत याचिका को लगभग 11 महीने तक लंबित रखने पर निराशा व्यक्त की।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ दिल्ली शराब नीति मामले के आरोपी अमनदीप सिंह ढल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो कई मौकों पर पोस्टिंग के बाद हाईकोर्ट द्वारा उनकी नियमित जमानत याचिका को जुलाई 2024 तक स्थगित करने से व्यथित थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि 40 पोस्टिंग के बाद मामला स्थगित कर दिया गया था।
उन्होंने कहा,
"मुझे कुछ नहीं चाहिए... न्यायाधीश ने इस मामले को जुलाई में स्थगित कर दिया। बस उन्हें मई में मामले का फैसला करने को कहें... ऐसा नहीं हो सकता कि 40 सुनवाई के बाद आप नियमित जमानत पर फैसला न करें।"
खंडपीठ ने हाईकोर्ट से गर्मी की छुट्टियों के बंद होने से पहले मई में ही जमानत याचिका पर फैसला करने का अनुरोध करते हुए मामले का निपटारा किया।
खंडपीठ ने आदेश में कहा,
"नागरिकों की स्वतंत्रता से संबंधित मामलों में हर दिन मायने रखता है... मामले को लगभग 11 महीने तक नियमित जमानत के लिए लंबित रखना याचिकाकर्ता को उसकी स्वतंत्रता के मूल्यवान अधिकार से वंचित करता है... हम एचसी से अनुरोध करते हैं कि छुट्टी से पहले जमानत आवेदन को डिकोड किया जाए।"
केस: अमनदीप सिंह ढल्ल बनाम सीबीआई एसएलपी (सीआरएल) 6973/2024