भारतीय कानून का उल्लंघन करने वाला विदेशी निर्णय भारतीय न्यायालयों पर बाध्यकारी नहीं : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-08-15 04:45 GMT

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भारतीय कानून के विरुद्ध जाने वाला विदेशी निर्णय संबंधित पक्षों के बीच निर्णायक नहीं है तथा भारतीय न्यायालयों पर बाध्यकारी नहीं है।

जस्टिस सूर्यकांत तथा जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश के विरुद्ध एक चुनौती पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अमेरिकी न्यायालय के आदेश के आधार पर नाबालिग बेटी को वापस भेजने की मांग करने वाली याचिकाकर्ता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी गई थी।

जुलाई 2023 में मिनेसोटा न्यायालय से प्राप्त कथित अमेरिकी न्यायालय के आदेश को प्रतिवादियों या बच्चों पर बाध्यकारी नहीं माना गया।

अमेरिकी न्यायालय के आदेश की बाध्यता के मुद्दे पर खंडपीठ ने उल्लेख किया कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 13(एफ) इस रुख का समर्थन करती है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि भारतीय कानून का उल्लंघन करने वाला विदेशी निर्णय संबंधित पक्षों के बीच अंतिम नहीं है।

"भारतीय कानून का उल्लंघन करने वाला कोई विदेशी निर्णय पक्षों के बीच निर्णायक नहीं होता है। इसलिए भारतीय न्यायालय इसका पालन करने के लिए बाध्य नहीं हैं।"

सीपीसी की धारा 13(एफ) में प्रावधान है कि कोई भी विदेशी निर्णय निर्णायक नहीं होगा यदि वह भारत में लागू किसी कानून के उल्लंघन पर आधारित दावे को बनाए रखता है। विचाराधीन मामले में हिरासत विवाद शामिल था।

सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के माध्यम से बच्चों की अस्थायी हिरासत के लिए याचिका खारिज कर दी। दोनों बच्चे, लड़कियां, वर्तमान में भारत में अपनी मां के साथ रह रही हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिकी न्यायालय के आदेश के अनुपालन में भारतीय अधिकारियों या न्यायालयों द्वारा नाबालिगों या उनकी मां की स्थिति को प्रभावित करने का कोई प्रयास नहीं किया जाएगा।

कहा गया,

"यह भी स्पष्ट किया जाता है कि भारतीय अधिकारियों या भारतीय न्यायालयों (इस न्यायालय को छोड़कर) द्वारा भारत में रह रहे बच्चों या उनकी मां की स्थिति को प्रभावित करने का कोई प्रयास नहीं किया जाएगा या अनुमति नहीं दी जाएगी, जो कि याचिकाकर्ता द्वारा जुलाई, 2023 में जिला न्यायालय, चतुर्थ न्यायिक जिला, फैमिली कोर्ट प्रभाग, मिनेसोटा राज्य, यू.एस.ए. से प्राप्त आदेश के कथित अनुपालन में है।"

केस टाइटल: विशेष अपील अनुमति (सीआरएल) नंबर 1722/2024

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