आरजी कर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल CBI जांच के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

Update: 2024-09-04 13:12 GMT

आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने टेंडर प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं और घोष द्वारा कुप्रबंधन की SIT जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

घोष उस अस्पताल और कॉलेज के प्रिंसिपल थे, जहां 9 अगस्त को जूनियर डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या की घटना हुई थी। हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को डॉक्टर की मौत से संबंधित जांच भी सीबीआई को सौंप दी थी।

यह मामला 6 सितंबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष घोष ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना जांच स्थानांतरित की। वे हाईकोर्ट की टिप्पणियों से व्यथित हैं, जिसमें उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को अस्पताल में हुई घटना से जोड़ा गया।

उल्लेखनीय है कि अस्पताल हादसे से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस हिरण्मय भट्ट की हाईकोर्ट की पीठ ने अप्राकृतिक मौत के बजाय आत्महत्या के रूप में दर्ज की गई मौत पर आपत्ति जताई और इस्तीफा देने के 12 घंटे के भीतर घोष की दूसरे कॉलेज में नियुक्ति पर नाराजगी जताई।

आगे कहा गया,

“अगर प्रिंसिपल ने नैतिक जिम्मेदारी के कारण पद छोड़ा है तो यह गंभीर बात है कि उन्हें 12 घंटे के भीतर दूसरी नियुक्ति दे दी गई। इस बात की आशंका है कि समय बर्बाद होने से कुछ गड़बड़ हो सकती है। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, उन्होंने पद छोड़ा और फिर उन्हें दूसरी जिम्मेदारी कैसे दे दी गई? प्रिंसिपल वहां काम करने वाले सभी डॉक्टरों के अभिभावक हैं, अगर वे सहानुभूति नहीं दिखाते हैं तो कौन दिखाएगा? उन्हें घर पर रहना चाहिए और कहीं काम नहीं करना चाहिए। इतने शक्तिशाली कि सरकारी वकील उनका प्रतिनिधित्व कर रहा है? प्रिंसिपल काम नहीं करेंगे। उन्हें लंबी छुट्टी पर जाने दें। अन्यथा, हम आदेश पारित करेंगे।”

ट्रांसफर की गई जांच आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व उप अधीक्षक अख्तर अली द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है, जिन्होंने पूर्व प्राचार्य डॉ. घोष के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पूर्व प्राचार्य पर गंभीर अवैधानिकताएं करने का आरोप लगाया। अली ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि घोष ने शवों के कुप्रबंधन, खुले बाजार में बायोवेस्ट की बिक्री, सार्वजनिक धन का दुरुपयोग आदि जैसी गंभीर अवैधानिकताएं शुरू की थीं।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि राज्य ने 9 अगस्त की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद ही SIT जांच क्यों शुरू की, जबकि पहले ही कई शिकायतें दर्ज की जा चुकी थीं।

उल्लेखनीय है कि कोलकाता कोर्ट ने पहले डॉक्टर की मौत के संबंध में घोष पर पॉलीग्राफ टेस्ट करने की अनुमति CBI को दी थी।

केस टाइटल: संदीप घोष बनाम पश्चिम बंगाल, डायरी नंबर 38744-2024)

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