आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं: चुनाव आयोग

Update: 2025-07-10 08:38 GMT

चुनाव आयोग (ECI) ने गुरुवार (10 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में बिहार में मतदाता सूची के "विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)" को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कही।

याचिकाकर्ताओं ने ECI द्वारा आधार कार्ड और वोटर कार्ड को उन 11 दस्तावेजों की सूची से बाहर रखने पर सवाल उठाया, जिन्हें ECI ने उन मतदाताओं की नागरिकता सिद्ध करने के लिए निर्धारित किया है जो 2003 की मतदाता सूची में शामिल नहीं थे।

याचिकाकर्ताओं की ओर से सिनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि भले ही जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार आधार कार्ड एक मान्य दस्तावेज है, फिर भी ECI बिहार SIR के लिए इसे स्वीकार नहीं कर रहा।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ ने चुनाव आयोग से पूछा कि आधार को स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा।

इस पर चुनाव आयोग की ओर से सिनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी ने जवाब दिया, "आधार कार्ड को नागरिकता के प्रमाण के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।"

इस पर जस्टिस धूलिया ने कहा,

"लेकिन नागरिकता का निर्धारण चुनाव आयोग नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय करता है।"

ECI के वकील ने जवाब दिया,

"हमें अनुच्छेद 326 के तहत अधिकार प्राप्त हैं।" इस पर बेंच ने कहा कि अगर ऐसा है, तो चुनाव आयोग को यह प्रक्रिया काफी पहले शुरू कर देनी चाहिए थी।

जस्टिस बागची ने कहा,

"मान लीजिए, आपका यह निर्णय कि 2025 की मतदाता सूची में पहले से दर्ज व्यक्ति को बाहर कर दिया जाए, तो इससे उस व्यक्ति को अपील करने और पूरी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे आगामी चुनाव में उसका मतदान का अधिकार छिन सकता है। मतदाता सूची से गैर-नागरिकों को हटाने का आपका प्रयास गलत नहीं है, लेकिन यदि यह सब प्रस्तावित चुनाव से केवल कुछ महीने पहले किया जा रहा है..."

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