Delhi Bar Elections : सुप्रीम कोर्ट ने स्टे ऑर्डर को स्पष्ट किया, कहा- हाईकोर्ट के 'एक सदस्य, एक पद' निर्देश पर रोक लगाई गई

Update: 2024-09-13 05:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में बार एसोसिएशन (Delhi Bar Elections) के चुनावों के मामले में पारित उसके स्टे ऑर्डर पर रोक लगाई गई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसका स्टे ऑर्डर दिल्ली हाईकोर्ट के उस निर्देश पर लागू है, जिसमें कहा गया कि कोई सदस्य केवल बार एसोसिएशन में ही पदों के लिए चुनाव लड़ सकता है।

जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने 9 सितंबर को पारित अपने पहले के आदेश को स्पष्ट किया, जिसमें 19 मार्च को पारित हाईकोर्ट के निर्देशों पर पूरी तरह रोक लगाने का निर्देश दिया गया। इसका मतलब यह था कि हाईकोर्ट द्वारा जारी किए गए अन्य निर्देश, जैसे कि दिल्ली में सभी बार एसोसिएशन के चुनाव एक ही दिन होने चाहिए, पर भी रोक लगा दी गई। इसके बाद मामले को स्पष्टीकरण के लिए पीठ के समक्ष रखा गया।

खंडपीठ ने गुरुवार को अपने आदेश को इस प्रकार स्पष्ट किया:

हम स्पष्ट करते हैं कि इस न्यायालय द्वारा पारित दिनांक 09.09.2024 के आदेश के पैराग्राफ 2 को इस प्रकार पढ़ा जाए:-

“2. अगले आदेश तक हाईकोर्ट द्वारा पारित दिनांक 19.03.2024 के विवादित आदेश के पैरा नंबर 38 के उप-पैरा (ii) पर रोक रहेगी।

संदर्भ के लिए, हाईकोर्ट के निर्देश के पैरा नंबर 38 के उप-पैरा (ii) में निर्देश था:

"किसी भी बार एसोसिएशन या निकाय, जैसे कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली या बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कोई भी सदस्य दो अलग-अलग बार एसोसिएशन/निकायों में एक साथ चुनाव नहीं लड़ेगा या पद नहीं रखेगा।"

9 सितंबर के अपने आदेश में न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि वर्तमान अपीलों के लंबित रहने से किसी भी निकाय के चुनाव पर रोक नहीं लगेगी।

न्यायालय कार्यकारी समिति के अध्यक्ष एडवोकेट डीके शर्मा और दिल्ली बार काउंसिल के अन्य सदस्यों द्वारा हाईकोर्ट के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

दिल्ली हाईकोर्ट का निर्णय

एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन, जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस सुरेश कुमार कैत की फुल बैंच ने कहा कि चूंकि अधिकांश बार एसोसिएशन का कार्यकाल इस वर्ष सितंबर में समाप्त हो जाएगा, इसलिए 2024 के सभी चुनाव 19 अक्टूबर को एक ही दिन में कराना उचित होगा।

यह पाया गया कि सभी जिला कोर्ट बार एसोसिएशन, दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और दिल्ली में ट्रिब्यूनल से जुड़े सभी बार संघ इस बात पर सहमत थे कि उनकी कार्यकारी समितियों के चुनाव अब एक साथ होने चाहिए।

चुनावों में शुचिता सुनिश्चित करने और धनबल का उपयोग न करने के लिए न्यायालय ने संभावित उम्मीदवारों को अपनी चुनावी संभावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए होर्डिंग लगाने, पोस्टर चिपकाने या पार्टियों की मेजबानी न करने पर रोक लगाई। इसने आगे निर्देश दिया कि किसी भी बार एसोसिएशन या निकाय, जैसे कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली या बार काउंसिल ऑफ इंडिया का कोई भी सदस्य दो अलग-अलग बार संघों या निकायों में पदों के लिए एक साथ चुनाव नहीं लड़ेगा।

इसके अतिरिक्त, यह माना गया कि यदि मौजूदा बार एसोसिएशन निर्धारित तिथि तक चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं करती है तो उक्त कार्य को दो पूर्व अध्यक्षों और दो सचिवों वाली समिति को सौंपा गया माना जाएगा। साथ ही संबंधित जिला जज या ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार या हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा नामित एक वकील को भी शामिल किया जाएगा।

केस टाइटल: डी.के. शर्मा और अन्य बनाम दिल्ली बार काउंसिल और अन्य विशेष अपील की अनुमति (सी) नंबर 19941-19942/2024

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