आयातित वस्तुओं को विशिष्ट, विपणन योग्य उत्पादों में परिवर्तित करना 'निर्माण' के अंतर्गत आता है, एक्साइज़ ड्यूटी लागू: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-09-19 14:12 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयातित गैस-उत्पादक सेटों (जेनसेट्स) को स्टील के कंटेनरों में रखकर और उनमें आवश्यक पुर्जे लगाकर कंटेनरयुक्त "पावर पैक्स" में परिवर्तित करना केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 के तहत "निर्माण" के अंतर्गत आता है, जिससे अंतिम उत्पाद पर एक्साइज़ ड्यूटी लगता है।

अदालत ने कहा,

"जेनसेट को स्टील के कंटेनर में रखने और उस कंटेनर में अतिरिक्त अभिन्न पुर्जे लगाने की प्रक्रिया नई, विशिष्ट और विपणन योग्य वस्तु का निर्माण करती है। इस प्रकार, यह प्रक्रिया अधिनियम, 1944 की धारा 2(f)(i) के तहत "निर्माण" के अंतर्गत आती है। परिणामस्वरूप, अपीलकर्ता निर्मित वस्तुओं पर उत्पाद शुल्क का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।"

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने कहा कि एक बार जब जेनसेट्स को पावर पैक्स में बदल दिया गया, जिसमें उनके संचालन के लिए आवश्यक घटकों को जोड़कर उनमें संशोधन किया गया तो उनके स्वरूप और संरचना में परिवर्तन हुआ और एक अलग पहचान वाले उत्पाद में बदल गया, जिससे एक्साइज़ ड्यूटी लगने लगा।

अदालत ने कहा,

"वर्तमान मामले के तथ्यों के अनुसार, स्वरूप/संरचना में परिवर्तन और आयातित जेनसेट में नए घटकों को जोड़ने से उसका रूपांतरण हुआ और एक अलग उत्पाद, यानी पावर पैक, अस्तित्व में आया, जिसका अपना विशिष्ट चरित्र और पहचान है।"

अदालत ने सर्वो-मेड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड बनाम केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्त, मुंबई, (2015) 14 एससीसी 47 के अपने ही मामले का उल्लेख किया, जिसमें यह निर्धारित करने के लिए दो-आयामी परीक्षण निर्धारित किया गया कि क्या कोई गतिविधि "निर्माण" के अंतर्गत आती है।

ये दो-आयामी परीक्षण है:

(i) परिवर्तन परीक्षण (क्या एक नए नाम, पहचान, चरित्र या उपयोग वाला एक विशिष्ट उत्पाद उभरता है?)।

(ii) विपणन योग्यता परीक्षण (क्या रूपांतरित उत्पाद इस रूप में विपणन योग्य है?)।

अदालत ने कहा कि परिवर्तन परीक्षण और विपणन योग्यता परीक्षण पूरे हो गए हैं, क्योंकि आयातित उत्पाद को विशिष्ट पहचान, नाम और चरित्र वाले नए उत्पाद में रूपांतरित कर दिया गया। इसे बाजार में लाया और बेचा जा सकता है।

अपीलकर्ता के इस तर्क को खारिज करते हुए कि आयातित जेनसेट पहले से ही एक पूर्ण उत्पाद है, जस्टिस पारदीवाला द्वारा लिखित निर्णय में पुर्जों और सहायक उपकरणों में अंतर किया गया। इसने माना कि रेडिएटर, पंखा और तेल टैंक वैकल्पिक ऐड-ऑन नहीं, बल्कि अभिन्न अंग हैं, सहायक उपकरण नहीं, जिनके बिना जेनसेट स्टील कंटेनर के अंदर काम नहीं कर सकता।

एक उदाहरण की मदद से अदालत ने पुर्जों और सहायक उपकरणों के बीच अंतर स्पष्ट किया:

“उदाहरण के लिए, कार में लगा एयर कंडीशनर उस कार का 'पुर्जा' नहीं माना जाएगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कार बिना एयर कंडीशनर के भी परिवहन के अपने प्राथमिक कार्य को प्रभावी ढंग से कर सकती है। इसके विपरीत, एयर कंडीशनर को 'सहायक उपकरण' के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा, क्योंकि यह कार के साथ उपयोग किए जाने पर आराम और सुविधा को बढ़ाता है। यह कार के अंदर तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करके पूरक/द्वितीयक मूल्य प्रदान करता है। दूसरी ओर, स्टीयरिंग व्हील को कार का 'पुर्जा' माना जाएगा, क्योंकि स्टीयरिंग व्हील के बिना कार अपना प्राथमिक कार्य, यानी परिवहन, नहीं कर पाएगी।”

इसके अलावा, अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस प्रक्रिया ने उत्पाद को एक नया चरित्र और कार्यात्मक उपयोगिता प्रदान की। जहां आयातित जेनसेट स्थायी स्थापना के लिए था, वहीं पावर पैक एक पोर्टेबल, आत्मनिर्भर इकाई बन गया, जो वाणिज्यिक पट्टे के लिए उपयुक्त थी। यह परिवर्तन विनिर्माण के परीक्षण पर खरा उतरा।

तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई।

Cause Title: M/S QUIPPO ENERGY LTD. VERSUS COMMISSIONER OF CENTRAL EXCISE AHMEDABAD – II

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