क्या दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए दूरदर्शन पर प्रतिदिन विशेष समाचार बुलेटिन प्रसारित किए जा सकते हैं? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा

Update: 2024-08-16 13:25 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को प्रसार भारती से जवाब मांगा कि क्या दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय समाचार चैनल दूरदर्शन पर प्रतिदिन विशेष समाचार बुलेटिन प्रसारित किया जा सकता है।

जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ 2019 में संकेत फाउंडेशन द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए दृश्य मीडिया को सुलभ बनाने की आवश्यकता का अनुरोध किया गया।

इस याचिका पर अदालत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से अनुरोध किया कि वे "प्रसार भारती से निर्देश लें कि क्या कम से कम "दूरदर्शन" पर दृष्टिबाधित और श्रवण बाधित व्यक्तियों के लिए दैनिक आधार पर विशेष समाचार बुलेटिन प्रसारित किया जा सकता है"।

पिछले साल बहुत ही सराहनीय कदम उठाते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में सुचारू न्यायिक कार्यवाही के लिए सांकेतिक भाषा दुभाषिया की नियुक्ति की घोषणा की, जहां श्रवण बाधित वकील और पक्षकार शामिल थे।

इस साल जुलाई में सीजेआई चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दृश्य मीडिया में दिव्यांग व्यक्तियों के सम्मानजनक चित्रण के लिए दिशा-निर्देश जारी किए और यह दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप भारत के भेदभाव-विरोधी दायित्वों के अनुरूप है।

केस टाइटल: संकेत फाउंडेशन और अन्य बनाम यूओआई और अन्य, डब्ल्यूपी (सी) नंबर 1380/2019

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