Bhima Koregaon Case| दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका वापस ली
दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi Univeristy) के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू ने कथित माओवादी संबंधों को लेकर भीमा कोरेगांव मामले 9Bhima Koregaon Case) में जमानत की मांग वाली सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका शुक्रवार (3 मई) को वापस ले ली।
जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ के सामने मामला रखा गया था। बाबू की ओर से पेश वकील ने अदालत को सूचित किया कि परिस्थितियों में बदलाव आया, क्योंकि पांच सह-अभियुक्तों को जमानत दे दी गई।
तदनुसार, न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:
"याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि परिस्थिति में बदलाव आया और वह वर्तमान याचिका पर जोर डालकर हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाना चाहेगा...उपरोक्त के मद्देनजर, याचिका को गैर-योग्य मानते हुए खारिज किया जाता है।"
डिवीजन बेंच इस मामले में उनकी जमानत अर्जी खारिज करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के सितंबर 2022 के फैसले को चुनौती देने वाली बाबू की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पुणे के भीमा कोरेगांव में 2018 में हुई जाति-आधारित हिंसा के सिलसिले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA Act) के तहत गिरफ्तार किए जाने के बाद बाबू जुलाई 2020 से जेल में बंद हैं।
अलग होने से पहले वकील ने उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की अनुमति देने के लिए अदालत से अनुमति मांगी। हालांकि, अदालत ने बताया कि उनका बयान आदेश में दर्ज किया गया है।
जस्टिस त्रिवेदी ने कहा,
"नहीं, हम कोई अनुमति नहीं देते। हमने आपका बयान दर्ज कर लिया है। हमारी अनुमति की कोई आवश्यकता नहीं है।"
पिछले महीने (5 अप्रैल को) सुप्रीम कोर्ट (जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एजी मसीह की बेंच) ने मामले में सह-अभियुक्त शोमा सेन को यह देखने के बाद जमानत दे दी थी कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं है।
केस टाइटल- हनी बाबू बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी | डायरी नंबर 35415/2023