वकीलों के साथ व्यवहार में नरमी बरतें, बार से विवाद न करें: सुप्रीम कोर्ट ने DRT जज से कहा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 जनवरी) को रिट याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा उनके खिलाफ पारित प्रतिकूल टिप्पणियों और निर्देशों के खिलाफ डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT), चंडीगढ़ पीठ के पीठासीन अधिकारी के खिलाफ DRT लॉयर्स एसोशिएशन द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी।
पिछले साल 3 नवंबर को हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश में केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए समर्पित कर्मियों द्वारा DRT पीठासीन अधिकारी के समक्ष कार्यवाही की रिकॉर्डिंग के निर्देश जारी किए गए थे। हाईकोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पीठासीन अधिकारी को अक्टूबर, 2022 के बाद से किसी भी आवेदन की बहाली के लिए लगाए गए जुर्माने की जमा राशि पर जोर नहीं देना चाहिए। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को ट्रिब्यूनल के समक्ष हाइब्रिड सुनवाई के लिए सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
सीजेआई ने मौखिक रूप से कहा कि याचिकाकर्ता के लिए वकीलों की परिस्थितियों के प्रति दयालु और संवेदनशील होना महत्वपूर्ण है। बार एसोसिएशन के खिलाफ 'आक्षेप' नहीं उठाना चाहिए।
सीजेआई ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा,
“आप व्यथित क्यों हैं, आप पीठासीन अधिकारी हैं… आपको पीठासीन अधिकारी के रूप में इस मैदान में कभी प्रवेश नहीं करना चाहिए और हाईकोर्ट ने सही ढंग से निर्देशित किया। भारत संघ को हाइब्रिड सुनवाई, कार्यवाही की रिकॉर्डिंग प्रदान करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करने का निर्देश दिया गया। यूओआई द्वारा प्रदान किए जाने वाले समर्पित कर्मियों द्वारा किया जाता है... इस तरह बार के साथ दुर्व्यवहार करने के बजाय आप चंडीगढ़ में पीठासीन अधिकारी हैं, अपना कर्तव्य निभाएं, आसपास के सभी लोगों के प्रति थोड़ा दयालु रहें और आपको बहुत सम्मान मिलेगा। कोई यह नहीं कह रहा है कि आपको किसी के पक्ष में फैसला करना है, लेकिन थोड़ा नरम तरीके से निपटना है, वकील यही उम्मीद करते हैं।”
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील श्री दया कृष्ण शर्मा (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) ने बताया कि हाईकोर्ट के समक्ष बार एसोसिएशन की मुख्य प्रार्थना उनके खिलाफ जांच करने की थी, जिसे DRAT के चेयरपर्सन ने पूरा कर लिया। याचिकाकर्ता अब प्रार्थना करता है कि हाईकोर्ट के समक्ष उक्त मुकदमेबाजी समाप्त हो जानी चाहिए, क्योंकि DRAT चेयरपर्सन की रिपोर्ट अब खोज-सह-चयन समिति के समक्ष रखी गई है और हाईकोर्ट के समक्ष कुछ भी नहीं बचा है।
एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से पेश एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सिद्धार्थ बत्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मुकदमेबाजी के पिछले दौर में, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सकारात्मक माहौल बनाने और मामलों को बहाल करने के लिए कहा था, फिर भी याचिकाकर्ता आदेशों का पालन नहीं कर रहा है।
उन्होंने डीआरटी मामलों में याचिकाकर्ता द्वारा लगाए जा रहे जुर्माने पर चिंता व्यक्त की,
"लिखित विवरण दाखिल न करने पर 20,000 रुपये (जुर्माना लगाया गया), जुर्माना 2 लाख रुपये हो रहा है, माय लॉर्ड्स, बार के सदस्य कहां जाएंगे ?"
अदालत ने एसएलपी यह कहते हुए खारिज कर दी कि वह संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है।
केस टाइटल: एम.एम. ढोंचक बनाम डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन एसएलपी (सी) नंबर 027317 - / 2023
आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें