'अडॉप्शन डीड का संबंध दत्तक ग्रहण से है': सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-01-31 07:48 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने 49 वर्षीय अविवाहित महिला द्वारा दो जुड़वां बच्चों को अंतर-देशीय गोद लेने की मांग करने वाली याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया, जो यूनाइटेड किंगडम की नागरिक है। महिला ने अपने भाई के बच्चों को गोद लिया था, जब उसकी पत्नी की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

इस मामले में उठाया गया मुद्दा यह था कि हालांकि महिला ने 9 जनवरी, 2020 को दोनों जुड़वा बच्चों को गोद लिया और हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (HAMA) के अनुसार औपचारिक गोद लेने के लिए हिंदू धार्मिक समारोह भी किए, लेकिन गोद लेने का विलेख 19 सितंबर, 2022 को ही रजिस्टर्ड किया गया।

मद्रास हाईकोर्ट के 17 अप्रैल, 2024 के आदेश के खिलाफ एसएलपी दायर की गई, जिसके तहत हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को यूनाइटेड किंगडम में अधिकारियों से प्रायोजन पत्र प्राप्त करना होगा, जिसके प्रस्तुत करने पर भारतीय अधिकारी बच्चों को यूनाइटेड किंगडम ले जाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करेंगे। इसके अभाव में रिट याचिका खारिज कर दी गई।

याचिकाकर्ता का मामला यह था कि वह केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में असमर्थ थी, क्योंकि यद्यपि दत्तक ग्रहण 2020 में हुआ था, लेकिन दत्तक ग्रहण विलेख 2022 में ही रजिस्टर्ड हुआ।

यह तर्क दिया गया कि दत्तक ग्रहण विलेख दत्तक ग्रहण की तिथि से संबंधित होगा। इसलिए दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 के विनियमन 67, जिसका पालन माता-पिता द्वारा दत्तक ग्रहण किए गए बच्चों को विदेश में स्थानांतरित करने की इच्छा होने पर किया जाना है, उसको उस संदर्भ में पढ़ा जाना चाहिए।

विनियम 67 पंजीकृत दत्तक ग्रहण विलेख के मामले में प्रक्रिया से संबंधित है। यह कहता है कि यदि दत्तक ग्रहण (संशोधन) विनियम, 2021 के प्रारंभ होने से पहले HAMA के तहत हुआ, तो दत्तक ग्रहण विलेख के तथ्यों का समर्थन करने वाले अपेक्षित दस्तावेजों का जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विधिवत सत्यापन और अनुशंसा की जाएगी। इसकी प्राप्ति पर CARA प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं का पालन करेगा और अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करेगा।

जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत तर्कों से सहमति व्यक्त की।

खंडपीठ ने कहा

"हम प्रथम दृष्टया इस मत पर हैं कि याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलीलें सही रखी हैं। इन परिस्थितियों में हम प्रतिवादी नंबर 3/कलेक्टर और प्रतिवादी नंबर 2 को निर्देश देते हैं कि वे याचिकाकर्ता द्वारा दायर किए जाने वाले आवेदन को सभी सहायक दस्तावेजों के साथ आज से एक सप्ताह की अवधि के भीतर स्वीकार करें। उक्त आवेदन प्राप्त होने पर प्रतिवादी नंबर 3 और 2 याचिकाकर्ता के मामले पर विनियम, 2022 के प्रासंगिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए और कानून के अनुसार इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए विचार करेंगे कि गोद लेने की प्रक्रिया 09.01.2020 को हुई।

केस टाइटल: प्रेमा गोपाल बनाम केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण और अन्य | अपील के लिए विशेष अनुमति (सी) संख्या(एँ)। 14886/2024

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