रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए 36-48 घंटे की शिफ्ट अमानवीय: सुप्रीम कोर्ट ने NTF से ड्यूटी के घंटों पर चिंताओं को दूर करने को कहा

Update: 2024-08-22 12:32 GMT

आरजी कर अस्पताल बलात्कार-हत्या मामले की स्वतः संज्ञान सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में रेजिडेंट डॉक्टरों के 'अमानवीय कार्य घंटों' पर अपनी चिंता व्यक्त की।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने व्यस्त कार्य शेड्यूल पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) द्वारा विचार किए जाने की ओर इशारा किया, जिसे मेडिकल पेशेवरों के लिए एक समान सुरक्षा प्रोटोकॉल की सिफारिश करने का अधिकार है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,

"हम देश भर में रेजिडेंट डॉक्टरों के अमानवीय कार्य घंटों को लेकर बहुत चिंतित हैं। कुछ डॉक्टर 36 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं। नियुक्त समिति को सभी डॉक्टरों के ऑन-ड्यूटी घंटों को सुव्यवस्थित करने पर विचार करना चाहिए। 36 या 48 घंटे की शिफ्ट बिल्कुल अमानवीय है!"

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि NTF रेजिडेंट डॉक्टरों और मेडिकल पेशे से संबंधित अन्य सभी प्रतिनिधियों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करे। केंद्रीय परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य मंत्रालय को सभी हितधारकों के लिए निवारण पोर्टल खोलने का निर्देश दिया गया, जिससे वे अपनी चिंताओं को NTF तक पहुंचा सकें।

न्यायालय ने अपने आदेश में दर्ज किया,

इसमें कोई संदेह नहीं कि सिफारिशें तैयार करने से पहले NTF द्वारा विभिन्न हितधारकों के विचार लिए जाने चाहिए। NTF के समक्ष सुझाव दाखिल करने की सुविधा के लिए हम केंद्रीय परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को मंत्रालय की वेबसाइट पर एक विशिष्ट पोर्टल खोलने का निर्देश देते हैं, जिस पर विभिन्न हितधारक अपने सुझाव या विचार प्रस्तुत कर सकते हैं।"

उल्लेखनीय है कि कई हस्तक्षेपकर्ताओं ने (1) डॉक्टरों, विशेषकर महिला पेशेवरों के लिए निकटवर्ती पुलिस स्टेशनों से जुड़ी संकट कॉल प्रणाली शुरू करने; (2) बिना देरी के अपराध दर्ज करने के लिए संस्थागत एफआईआर और (3) मुआवजा संकट निधि के गठन की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है। न्यायालय ने NTF को इस पर भी विचार करने को कहा।

डॉक्टरों के लिए अंतरिम सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिए संघ और राज्य सचिव बैठक करेंगे

हस्तक्षेपकर्ता FAIMA और एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों के राष्ट्रीय महासंघ का प्रतिनिधित्व करने वाली एडवोकेट तन्वी दुबे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रेजिडेंट डॉक्टर काम पर वापस लौटने के लिए तैयार हैं, लेकिन कार्यस्थल पर सुरक्षा उपायों की कमी के कारण वे डरे हुए हैं।

"रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा पत्र भेजे गए हैं, जिसमें कहा गया कि हम काम पर लौटने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे अंतरिम सुरक्षा के लिए अनुरोध कर रहे हैं, वे डरे हुए हैं, वे प्रवेश द्वारों पर सुरक्षा और सीसीटीवी चाहते हैं।"

इस पर ध्यान देते हुए न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को अंतरिम सुरक्षा उपाय लागू करने के लिए राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों से परामर्श करने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने कहा,

"हम निर्देश देते हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करें कि NTF की रिपोर्ट आने तक राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश ऐसी बुनियादी आवश्यकताओं को लागू करें, जिससे डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंताओं का समाधान हो सके।"

पीठ ने कहा कि बैठक आयोजित करने की प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी हो जानी चाहिए। उसके बाद राज्य दो सप्ताह की अवधि के भीतर उचित कार्रवाई करेंगे।

न्यायालय ने कई अन्य निर्देश पारित किए, जिसमें राज्य सरकारों से कहा गया कि वे विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ कोई प्रतिकूल कदम न उठाएं और प्रोटोकॉल के अनुसार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन सुनिश्चित करें।

न्यायालय ने मामले की जांच में कमियों के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को भी फटकार लगाई।

केस टाइटल : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या और संबंधित मुद्दों के संबंध में | एसएमडब्लू (सीआरएल) 2/2024

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