सिक्किम हाईकोर्ट ने 80 वर्षीय नानी के साथ बलात्कार करने के आरोपी की दोषसिद्धि बरकरार रखी

Update: 2024-07-05 03:51 GMT

सिक्किम हाईकोर्ट ने अपनी अस्सी वर्षीय नानी के साथ बलात्कार करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376(2)(एफ), 376(2)(एन) और 506 के तहत 24 वर्षीय व्यक्ति की दोषसिद्धि बरकरार रखी।

जस्टिस मीनाक्षी मदन राय और जस्टिस भास्कर राज प्रधान की खंडपीठ ने फास्ट ट्रैक सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपीलकर्ता की चुनौती पर फैसला सुनाया।

पीड़िता (पीडब्लू-2) अपनी बेटी (पीडब्लू-3), दामाद और उनके बेटे अपीलकर्ता के साथ रह रही थी। जब पीडब्लू-3 पश्चिम बंगाल की अपनी यात्रा से लौटी तो उसने पीडब्लू-2 को घर पर नहीं पाया। बाद में उसे पता चला कि पीडब्लू-2 अपने पड़ोसी के घर पर थी और उसने घर लौटने से इनकार कर दिया। पीडब्लू-2 ने खुलासा किया कि अपीलकर्ता ने उसके साथ बलात्कार किया।

एफआईआर दर्ज करते समय उसने उल्लेख किया कि अपीलकर्ता नशे की हालत में उसका पीछा करता था और उसे अनुचित तरीके से छूता था। उसने यह भी उल्लेख किया कि वह पहले भी जेल में बंद था और उसने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने किसी को उसके कृत्यों के बारे में बताया तो वह उसे मार देगा।

हाईकोर्ट ने नोट किया कि ट्रायल कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य का सावधानीपूर्वक विश्लेषण और मूल्यांकन किया। इसने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने में देरी पर विचार किया, क्योंकि पीड़िता घटना के बारे में बात करने या पुलिस को रिपोर्ट करने में झिझक रही थी, क्योंकि अपराधी उसका अपना नवासा है।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की,

"इसलिए ट्रायल कोर्ट को पीड़िता के सीनियर सिटीजन होने पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं मिला, जो अपनी उम्र में अपने पोते के खिलाफ ऐसा आरोप लगाने की संभावना नहीं थी, जब तक कि उसके पास कोई विकल्प न हो।"

हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने ट्रायल में अपने बयान के दौरान एफआईआर में बताए गए तथ्यों को 'स्पष्ट रूप से दोहराया'। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि मेडिकल जांच रिपोर्ट ने पीड़िता पर यौन हमले से इनकार नहीं किया।

यह देखते हुए कि ट्रायल कोर्ट ने मामले की सावधानीपूर्वक जांच की है, हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता की सजा बरकरार रखी।

केस टाइटल: XX बनाम सिक्किम राज्य (Crl. A. No.07 of 2023)

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