राजस्थान हाईकोर्ट ने स्कूलों में बुनियादी ढांचे की समस्याओं पर स्वतः संज्ञान लिया, स्कूल की छत गिरने से हुई थी 7 बच्चों की मौत

Update: 2025-07-29 07:03 GMT

राजस्थान के सरकारी स्कूल में कक्षा की छत और दीवार गिरने से 7 बच्चों की दर्दनाक मौत और कई अन्य बच्चों के घायल होने की खबर पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया।

जस्टिस अनुप कुमार ढांड की पीठ ने इस घटना को “तंत्र को झकझोरने वाली, दिल दहला देने वाली और समाज को झकझोरने वाली” करार दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रभावी शिक्षण और अधिगम के लिए एक सुरक्षित और संरक्षित वातावरण अनिवार्य है।

कोर्ट ने कहा,

“राज्य के कई गांवों में स्कूलों की अनुपलब्धता मौन संकट है, जो सैकड़ों या हजारों बच्चों के शिक्षा के अधिकार को कमजोर करता है। स्कूलों तक भौतिक पहुंच को सशक्त बनाना एक नीतिगत प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि हर बच्चा, चाहे वह किसी भी क्षेत्र या लिंग से हो, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके यह राज्य का सर्वोच्च कर्तव्य है कि वह शैक्षिक ढांचे को बेहतर बनाए और सभी स्कूली बच्चों को एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करे।”

कोर्ट ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कई समस्याएं उजागर कीं जैसे स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति, कक्षाओं में उचित लाइट और पंखों की कमी, स्कूलों में शौचालयों का अभाव जिससे खासतौर पर लड़कियों में मूत्र रोकने की समस्या और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें उत्पन्न होती हैं, स्वच्छ व पृथक शौचालय की अनुपस्थिति, मुफ्त सैनेटरी पैड्स की अनुपलब्धता जिससे शॉक सिंड्रोम का खतरा बढ़ता है, तकनीकी और विज्ञान आधारित शिक्षा के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी जैसे कार्यरत कंप्यूटर और प्रयोगशालाएं इत्यादि।

कोर्ट ने यह भी कहा कि राजस्थान द्वारा अपने राज्य के बजट का 6% शिक्षा पर आवंटित करने के बावजूद कई सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। यह समस्या केवल राजस्थान या सरकारी स्कूलों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि निजी स्कूलों में भी आवश्यक बुनियादी सुविधाओं की कमी देखी जा रही है और यह स्थिति पूरे देश में व्याप्त है।

कोर्ट ने आगे कहा,

“ये निष्कर्ष इस ओर संकेत करते हैं कि प्रणालीगत सुधारों और स्कूलों के ढांचे में अधिक निवेश की अत्यंत आवश्यकता है विशेषकर सरकार द्वारा संचालित संस्थानों में। इन अंतरालों को भरना छात्रों के समग्र विकास के लिए ही नहीं, बल्कि शहरी और ग्रामीण भारत में शिक्षा की समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है।”

कोर्ट ने कहा कि सुरक्षित स्कूल भवनों का निर्माण आर्किटेक्ट्स, इंजीनियरों, नीति निर्माताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और आपदा प्रतिक्रिया योजनाकारों की प्राथमिकता होनी चाहिए। सभी सार्वजनिक सुविधाओं में आपदाओं के समय स्कूलों में मौजूद बच्चे सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।

इस पृष्ठभूमि में, कोर्ट ने कहा कि इन चुनौतियों का समाधान केवल स्कूलों के बुनियादी ढांचे में समर्पित निवेश और नियमित निगरानी से ही किया जा सकता है ताकि हर बच्चे के लिए शिक्षा के महत्व को बढ़ावा दिया जा सके। केवल इसी व्यापक दृष्टिकोण से राज्य यह सुनिश्चित कर सकता है कि हर बच्चा, चाहे वह कहीं भी हो या किसी भी लिंग से हो, सुरक्षित, समावेशी और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त कर सके।

इस मामले में "सुओ मोटू: स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा और भलाई के संदर्भ में" शीर्षक से संज्ञान लेते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है, यह पूछते हुए कि क्यों इस आदेश में दिए गए निर्देश लागू न किए जाएं। साथ ही, कोर्ट ने उठाए गए मुद्दों पर प्रभावी कदमों की रिपोर्ट भी तलब की है।

मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त 2025 को निर्धारित की गई।

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