स्टूडेंट आत्महत्याएं मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र से मेंटल हेल्थकेयर के लिए उठाए गए कदमों पर जानकारी मांगी

Update: 2025-10-01 14:28 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने केंद्र, राज्य, यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग (UGC) और CBI को मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता उपलब्ध कराने और सभी स्तरों पर मनोवैज्ञानिक रखरखाव और मानसिक स्वास्थ्य विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया।

एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 10 से 30 वर्ष की आयु के स्टूडेंट्स में आत्महत्या की प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला गया। याचिका में दावा किया गया कि इसके बावजूद, शैक्षणिक संस्थानों में परामर्शदाताओं या मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का कोई प्रावधान नहीं है।

इसमें कहा गया:

"प्रतिवादियों के वकीलों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने सुझाव और मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता उपलब्ध कराने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी प्रस्तुत करें। साथ ही सभी स्तरों पर मनोवैज्ञानिक रखरखाव और मानसिक स्वास्थ्य विषय को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए उठाए जा रहे वर्तमान कदमों की जानकारी भी दें।"

इस पृष्ठभूमि में अदालत ने मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता उपलब्ध कराने और सभी स्तरों पर पाठ्यक्रम में मनोवैज्ञानिक रखरखाव और मानसिक स्वास्थ्य विषय को शामिल करने के लिए सुझाव और उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी।

तदनुसार, मामले को आठ सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया गया।

Title: Sujeet Swami v Union of India & Ors.

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