विदेश यात्रा का अधिकार: जमानत शर्त का उल्लंघन होने पर पासपोर्ट ज़ब्ती का आदेश राजस्थान हाईकोर्ट ने किया रद्द

Update: 2025-12-23 00:19 GMT
राजस्थान हाईकोर्ट ने विदेश यात्रा की अनुमति लिए बिना देश छोड़ने के कारण बेल शर्तों के उल्लंघन पर पासपोर्ट ज़ब्त किए गए एक आरोपी को राहत दी। न्यायालय ने कहा कि ऐसे हालात में पासपोर्ट को लगातार ज़ब्त रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा।
जस्टिस अनूप कुमार ढांढ की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता का कृत्य अनुचित था और यह अदालत के आदेश की अवहेलना के समान है। कोर्ट ने टिप्पणी की, “अदालत के आदेशों की अवहेलना कानून के शासन की नींव पर प्रहार करती है, जिस पर पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था टिकी है।”
मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत ट्रायल चल रहा था। उसे अग्रिम जमानत इस शर्त पर मिली थी कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेगा। याचिकाकर्ता ने अपने अमेरिका में रह रहे दो बेटों के बीच उत्पन्न विवाद सुलझाने के लिए विदेश यात्रा की। इसी दौरान मजिस्ट्रेट अदालत ने उसके पासपोर्ट को ज़ब्त करने का आदेश पारित किया। लौटने पर जमानत बॉन्ड की जब्ती और गिरफ्तारी वारंट के चलते उसकी गिरफ्तारी हुई, बाद में उसे पुनः उसी शर्त पर जमानत मिली।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि ट्रायल कोर्ट के पास बॉन्ड ज़ब्त करने और वारंट जारी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन समग्र परिस्थितियों—याचिकाकर्ता का जेल में रहना और परिवार का विदेश में होना—को देखते हुए विदेश यात्रा का अधिकार अनुच्छेद 21 के अंतर्गत संरक्षित है। इसलिए पासपोर्ट का निरंतर ज़ब्तीकरण असंगत होगा।
अंततः, पासपोर्ट प्राधिकरण को याचिकाकर्ता का पासपोर्ट जारी करने का निर्देश दिया गया। साथ ही शर्त रखी गई कि नवीनीकरण के बाद पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा किया जाएगा और अदालत की अनुमति के बिना वह विदेश यात्रा नहीं करेगा। याचिका इसी के साथ निस्तारित कर दी गई।
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