गंभीर धारा की अनदेखी कर ली जमानत पुन: रद्द करने पर सुनवाई करेगा राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2025-01-31 03:15 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट पूर्व में अन्य एकलपीठ द्वारा गंभीर धारा की अनदेखी कर ली गई जमानत को रद्द करने के लिए दायर राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। राज्य सरकार ने सिरोही जिले के बरलूट थाने में तैनात तत्कालीन प्रभारी सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस फरजंद अली ने सीमा जाखड़ को नोटिस जारी पूछा है कि उनकी जमानत क्यों न रद्द कर दी जाए।

राज्य सरकार की ओर से दायर अर्जी में कहा गया है कि 20 जुलाई 2022 को एक अन्य एकलपीठ द्वारा पारित जमानत आदेश में यह मान लिया गया था कि मामला केवल आईपीसी की धारा 221 के तहत दर्ज है, जिसमें तीन साल से अधिक की सजा नहीं होती। लेकिन असल में मामला एनडीपीएस एक्ट की कई गंभीर धाराओं (धारा 8, 15, 27-ए, 29 और 59) के साथ-साथ आईपीसी की धारा 483 और 221 से जुड़ा हुआ था।

इसमें राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में पारित जमानत आदेश में केवल धारा 221 आईपीसी के आरोप पर ही विचार करने का तथ्य तब सामने आया, जब जस्टिस फरजंद अली अन्य सहआरोपियों की जमानत पर सुनवाई कर रहे थे।

सहआरोपियों के वकील ने सीमा जाखड़ को जमानत मिलने के तथ्य के आधार पर जमानत चाही तो जस्टिस अली ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि उन्होंने सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने के लिए क्या कदम उठाए हैं, इससे न्यायालय को अवगत करवाया जाए। जिस पर बाद में राज्य सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट ने सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने के लिए प्रार्थना-पत्र पेश किया था।

मुख्य आरोप क्या हैं?

सीमा जाखड़ उस समय थाना प्रभारी (एसएचओ) के पद पर तैनात थीं और एक बड़ी साजिश की सूत्रधार बताई जा रही हैं। आरोप है कि उन्होंने घटनास्थल को बदलकर मामले की दिशा मोडऩे और असली अपराधियों को बचाने की कोशिश की। उन्होंने एक वाहन को रोका, जिसमें भारी मात्रा में मादक पदार्थ (ड्रग्स) ले जाया जा रहा था। आरोप है कि सीमा जाखड़ ने असली तस्करों को फरार होने दिया और किसी निर्दोष व्यक्ति को झूठे केस में फंसा दिया। उन्होंने राज्य एजेंसी को गलत दिशा में जांच करने के लिए गुमराह किया।

सरकार ने क्यों मांगी जमानत रद्द करने की अनुमति?

राज्य सरकार का कहना है कि सीमा जाखड़ को गलत आधार पर जमानत मिल गई थी, क्योंकि कोर्ट ने केवल आईपीसी की एक हल्की धारा को ध्यान में रखा, जबकि मामला एनडीपीएस एक्ट के तहत गंभीर अपराधों से जुड़ा हुआ है।

अब आगे क्या होगा?

कोर्ट ने इस अर्जी पर संज्ञान लेते हुए सीमा जाखड़ को नोटिस जारी किया है। उनसे पूछा गया है कि उनकी जमानत क्यों न रद्द कर दी जाए। मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी। अदालत ने सरकार की ओर से पेश किए गए हलफनामे को भी रिकॉर्ड में ले लिया है। हाईकोर्ट ने जोधपुर पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वह सीमा जाखड़ को नोटिस तामील कराएं।

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