प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट पैरोल से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2024-10-24 08:33 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि यदि पैरोल आवेदक राजस्थान कैदियों की पैरोल पर रिहाई नियम 2021 (नियम) के नियम 16 ​​के तहत अपनी रिहाई के लिए किसी भी अयोग्यता से ग्रस्त नहीं है तो प्रतिकूल पुलिस रिपोर्ट पैरोल से इनकार करने का आधार नहीं हो सकती।

जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी और जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ ने कहा कि पैरोल अपराधी के समाज में सुधार और पुनर्वास का साधन है। पैरोल के ऐसे उद्देश्य को अस्पष्ट और निराधार कारणों के आधार पर निराश नहीं किया जा सकता।

अदालत कैदी द्वारा 20 दिनों के लिए पैरोल पर रिहाई की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता को हत्या के एक मामले में दोषी ठहराया गया और वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। उसने 10 साल और 6 महीने की सजा काट ली थी। उसने पुलिस अधिकारियों से अपनी पहली पैरोल के लिए आवेदन किया। जेल अधिकारियों के साथ-साथ समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट भी याचिकाकर्ता के पक्ष में थी।

अधिकारियों ने इस आधार पर आवेदन खारिज किया कि पुलिस रिपोर्ट में कहा गया कि अपराध की गंभीर प्रकृति और पीड़ित के प्रतिशोधी रवैये के कारण आरोपी की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए इस अस्वीकृति के खिलाफ याचिका दायर की गई।

न्यायालय ने पुलिस रिपोर्ट खारिज की और कहा कि कानून और व्यवस्था ऐसा मुद्दा है, जिसे राज्य को देखना है। जब तक कोई अजीबोगरीब बात न हो यह पैरोल से इनकार करने का आधार नहीं बन सकता।

“पुलिस की प्रतिकूल रिपोर्ट के कारण पैरोल से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता कानून और व्यवस्था एक ऐसा मुद्दा है, जिसे राज्य को देखना होगा और जब तक कोई बहुत ही अजीब बात न हो, जिसकी ओर इशारा किया जाए, कानून और व्यवस्था पैरोल से इनकार करने का आधार नहीं बन सकती, जो नियमों के तहत निहित है।”

तदनुसार याचिका को अनुमति दी गई। याचिकाकर्ता को 20 दिनों के लिए पैरोल पर रिहा करने का निर्देश दिया गया।

केस टाइटल: चैना राम बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।

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