लोक अदालत पक्षकारों की गैर-हाजिरी के आधार पर मामला खारिज नहीं कर सकती: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि लोक अदालत के पास पक्षकारों की गैर-हाजिरी के आधार पर मामला खारिज करने का अधिकार नहीं है।
न्यायालय ने विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 20(5) पर प्रकाश डाला, जिसके अनुसार जहां पक्षकारों के बीच कोई समझौता नहीं होने के कारण लोक अदालत कोई निर्णय देने में सक्षम नहीं है तो मामले का रिकॉर्ड लोक अदालत द्वारा न्यायालय को वापस किया जाना चाहिए।
जस्टिस अरुण मोंगा की पीठ एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका मामला अधिनियम के तहत लोक अदालत के समक्ष निपटान के लिए भेजा गया था।
हालांकि याचिकाकर्ता ने निपटान कार्यवाही के लिए लोक अदालत का अधिकार क्षेत्र स्वीकार नहीं किया और प्राधिकरण के समक्ष उपस्थित होने में विफल रहा। इसके अनुसार, लोक अदालत ने मामला खारिज करने का आदेश पारित किया। इस आदेश को याचिकाकर्ता ने चुनौती दी थी।
न्यायालय ने उपर्युक्त धारा 20(5) का हवाला दिया और कहा,
"लोक अदालत के पास उपलब्ध एकमात्र उपाय कानून के अनुसार आगे की कार्यवाही के लिए मामले को उचित न्यायालय में वापस भेजना था।"
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि मामला खारिज करने का आदेश पारित करके लोक अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया, क्योंकि उसके पास ऐसी शक्तियां निहित नहीं थीं।
तदनुसार, आदेश रद्द कर दिया गया और मामले को उसकी मूल स्थिति में बहाल कर दिया गया।
केस टाइटल- कृपाल सिंह बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।