कोई भी माता-पिता अपने बच्चे को घातक नुकसान नहीं पहुंचाएगा: राजस्थान हाईकोर्ट ने पिता की हत्या की सज़ा गैर-इरादतन हत्या में बदली
राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में एक पिता की हत्या की सज़ा गैर-इरादतन हत्या में बदल दी। पिता को तेज धार वाले औजार से अपने बेटे की गर्दन पर वार करके उसे घातक रूप से घायल करने का दोषी ठहराया गया था। कोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा को घटाकर सात साल की जेल की।
जस्टिस विनीत कुमार माथुर और जस्टिस अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने अभियोजन पक्ष के गवाहों जिनमें अपीलकर्ता की पत्नी और बेटी भी शामिल थीं, की गवाही पर विचार किया। इन गवाहों ने दावा किया कि अपीलकर्ता एक क्रोधी स्वभाव का व्यक्ति है और उसमें मानसिक संतुलन की कमी है। यह भी दावा किया गया कि वह अक्सर अपना आपा खो देता है और बच्चों को उनकी गलतियों के लिए पीटता है।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सामान्य परिस्थितियों में कोई भी माता-पिता चाहे वे कितने भी निराश या हताश क्यों न हों, अपने बच्चों को इस हद तक घातक रूप से घायल नहीं करेंगे कि उनकी जान चली जाए।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
“हमारा विचार है कि सामान्य परिस्थितियों में कोई भी माता-पिता अपने बच्चों को घातक चोट नहीं पहुंचाएगा, चाहे वह कितना भी हताश या निराश क्यों न हो। वे कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप उनके बच्चे की जान जा सकती है।"
पिता की ओर से हत्या की सज़ा और आजीवन कारावास को इस आधार पर चुनौती दी गई कि बेटे को केवल एक ही वार किया गया, न कि कई बार जिससे यह पता चलता है कि पिता का इरादा उसे जानलेवा चोट पहुंचाने का नहीं था। तर्क दिया गया कि यह घटना गुस्से में हुई।
रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर विचार करने के बाद कोर्ट ने इस बात को माना कि अपीलकर्ता क्रोधी और अस्थिर दिमाग का व्यक्ति था। कोर्ट ने यह उजागर किया कि अपीलकर्ता ने बेटे को चोट पहुंचाई लेकिन बार-बार वार नहीं किए गए।
न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला,
"हम पाते हैं कि आरोपी-अपीलकर्ता की अपने बेटे के साथ कोई दुश्मनी नहीं थी और घातक चोट पहुंचाने की कोई पूर्व-योजना नहीं थी। चूंकि आरोपी-अपीलकर्ता अस्थिर दिमाग का व्यक्ति है, इसलिए उसने अपने बेटे पर चोट पहुंचाई।"
तदनुसार, कोर्ट ने अपीलकर्ता की दोषसिद्धि को हत्या (धारा 302 IPC) से गैर-इरादतन हत्या (धारा 304 भाग I IPC) में बदल दिया। साथ ही उसकी सज़ा को आजीवन कारावास से घटाकर सात साल के कारावास में बदल दिया।