निर्देशों के अनुसार अंक काटे गए: राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ही प्रश्न के दो उत्तर देने वाले NEET अभ्यर्थी को राहत देने से किया इनकार

Update: 2024-08-28 06:22 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने NEET अभ्यर्थी की याचिका खारिज की। उक्त याचिका में उसने अंकों में वृद्धि और उसके परिणामस्वरूप रैंक में संशोधन की मांग की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि OMR शीट में सही उत्तर अंकित करने के बावजूद अंकों में अनुचित और मनमाने ढंग से कटौती की गई।

जस्टिस समीर जैन की पीठ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सबसे पहले स्टूडेंट ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा निर्धारित इस तरह की आपत्तियों को उठाने के लिए विंडो समाप्त होने के बाद आपत्ति उठाई थी। दूसरी बात उसने संबंधित प्रश्न के लिए दो उत्तर दिए, जो OMR शीट भरने के लिए दिए गए स्पष्ट निर्देशों के विरुद्ध था।

याचिकाकर्ता को 645/720 अंक मिले थे। हालांकि उसका आरोप था कि उसने NTA द्वारा प्रकाशित अंतिम आंसर की के अनुसार प्रश्न के लिए सही उत्तर को चिह्नित किया। इसलिए उसके स्कोर में 5 अंकों की वृद्धि और उसके अनुसार उसकी रैंक में संशोधन भी किया जाना चाहिए।

इस प्रार्थना का विरोध करते हुए प्रतिवादियों के वकील ने सबसे पहले प्रारंभिक आपत्ति उठाई, जिसमें कहा गया कि उम्मीदवारों को आंसर की या स्कोरकार्ड को चुनौती देने के लिए कट-ऑफ तिथि के साथ कोई भी चुनौती देने का अवसर पहले ही दिया जा चुका है। हालांकि याचिकाकर्ता द्वारा निर्धारित समय के भीतर कोई शिकायत नहीं की गई, इसलिए याचिका मान्य नहीं थी।

दूसरी बात वकील ने तर्क दिया कि परीक्षा के नियमों और विनियमों को प्रदान करने वाले सूचना बुलेटिन के अनुसार, उत्तर पुस्तिका की कोई पुनर्जांच या पुनर्मूल्यांकन की अनुमति नहीं थी, क्योंकि OMR शीट का मूल्यांकन मशीनों द्वारा अत्यंत सावधानी और सतर्कता के साथ किया गया।

तीसरी बात वकील ने प्रस्तुत किया कि परीक्षा को निर्देशों के अनुपालन में सख्ती से हल किया जाना था, जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि उम्मीदवारों को OMR शीट में केवल सही उत्तर को ही काला करना था। हालांकि, उम्मीदवार की उत्तर पुस्तिका से पता चला कि उसने प्रश्न के लिए दो गोले काले कर दिए थे और इसी कारण से अंक काटे गए।

अदालत प्रतिवादियों के वकील द्वारा प्रस्तुत सभी तर्कों से सहमत थी। उम्मीदवार की याचिका खारिज करने का फैसला किया। यह देखने के अलावा कि आपत्ति निर्धारित समय के भीतर नहीं उठाई गई। आंसर शीट के पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं था, न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि अभ्यर्थी ने स्वयं एक ही प्रश्न के लिए दो विकल्प चिह्नित किए।

न्यायालय ने पाया कि अभ्यर्थियों को OMR शीट भरते समय स्पष्ट निर्देश दिए गए कि क्या करें और क्या न करें और उन्हें OMR शीट सही तरीके से भरने के बारे में भी चेतावनी दी गई। OMR शीट का मूल्यांकन मशीनों द्वारा किया गया था। इसलिए इसे भरने में किसी भी गलती के परिणामस्वरूप गलत तरीके से चिह्नित प्रश्नों का मूल्यांकन नहीं किया गया।

इसलिए याचिकाकर्ता के मामले में प्रश्न के लिए दो गोले भरने के बजाय केवल एक सही उत्तर भरने के निर्देश के अनुसार ही अंकों की कटौती की गई।

न्यायालय ने जितेंद्र शर्मा और अन्य के मामले का हवाला दिया। राजस्थान राज्य बनाम जिसमें अभ्यर्थियों ने OMR में प्रश्न पुस्तिका क्रमांक का कॉलम खाली छोड़ दिया था, इस कारण उनकी OMR शीट का मूल्यांकन नहीं किया गया।

न्यायालय ने ऐसे अभ्यर्थियों द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें इस त्रुटि को ठीक करने का अवसर मांगा गया, जिससे उनकी ओएमआर का मूल्यांकन किया जा सके और फैसला सुनाया,

“अपीलकर्ता जो निर्देशों का ठीक से पालन नहीं करने और संबंधित प्रश्न पुस्तिका सेट के लिए निर्धारित कॉलम को नहीं भरने में लापरवाह थे, उन्हें बाद में OMR शीट में कॉलम भरने की छूट नहीं दी जा सकती। यदि OMR शीट को इस तरह से खोलने और ठीक करने की अनुमति दी जाती है तो इससे परीक्षा प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता संदिग्ध हो सकती है। कारणों की समानता के लिए OMR शीट को भौतिक रूप से मूल्यांकन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”

इसी तरह न्यायालय ने पाया कि अभ्यर्थी द्वारा स्पष्ट निर्देशों का पालन न करने के कारण अंक काटे गए। तदनुसार, याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल- नेहा कुमार जोगी बनाम भारत संघ और अन्य

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