कर्मचारी को नया नियुक्ति पत्र जारी होने के बाद राज्य पहले की नियुक्ति में बांड की शर्त लागू नहीं कर सकता: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2025-05-19 07:42 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि किसी कर्मचारी को नई नियुक्ति पत्र जारी किया गया तो वह अब पुरानी नौकरी के बॉन्ड की शर्तों से बंधा नहीं रह सकता।

जस्टिस रेखा बोरणा याचिका पर सुनवाई कर रही थीं, जिसमें राज्य सरकार द्वारा महिला कर्मचारी से 5 लाख रुपये की वसूली के आदेश को चुनौती दी गई थी। राज्य सरकार का कहना था कि याचिकाकर्ता ने कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर पद पर रहते हुए 5 साल की सेवा पूरी किए बिना इस्तीफा दिया और नर्सिंग ऑफिसर के पद पर नियुक्त हो गई> इसलिए उसे बॉन्ड की रकम चुकानी होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि वर्ष 2023 में उन्हें नई नियुक्ति मिली। वह अब 2022 के नए नियमों के अंतर्गत आती हैं। पुरानी नौकरी और उसकी शर्तें स्वतः समाप्त हो चुकी हैं।

राज्य सरकार ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को नया पद केवल इसलिए दिया गया, क्योंकि वह पहले से विभाग में कार्यरत थीं और राज्य ने उनके प्रशिक्षण पर खर्च किया।

कोर्ट ने राज्य की इन दलीलों को खारिज कर दिया और कहा,

"जब एक नया नियुक्ति आदेश दे दिया गया तो पुराने विज्ञापन और उसकी शर्तों की कोई वैधता नहीं रह जाती। यदि सरकार का इरादा पुराने बॉन्ड को लागू रखने का होता तो यह शर्त 2022 के नियमों में स्पष्ट रूप से शामिल की जाती।"

अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अब भी राज्य सरकार की सेवा में हैं और पूर्व प्रशिक्षण से अर्जित कौशल का उपयोग नई भूमिका में भी कर रही हैं। ऐसे में राज्य को किसी आर्थिक नुकसान की बात तर्कसंगत नहीं है।

इस आधार पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता से 5 लाख की वसूली को तर्कहीन, अवैध और असंगत करार देते हुए खारिज कर दिया और याचिका को मंजूरी दे दी।

केस टाइटल: लीला कुमारी बनाम राजस्थान राज्य एवं अन्य

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