कृषि भूमि से संबंधित रद्द योग्य सेल डीड के विवाद सिविल कोर्ट ही सुलझा सकते हैं: राजस्थान हाईकोर्ट

Update: 2025-08-02 05:58 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि वादपत्र में लगाए गए आरोप यह संकेत देते हैं कि संपत्ति का हस्तांतरण रद्द योग्य है तो ऐसे मामलों में केवल सिविल कोर्ट को ही अधिकार होगा राजस्व कोर्ट को नहीं। चाहे विवादित संपत्ति कृषि भूमि ही क्यों न हो और भले ही राजस्थान भू-स्वामी अधिनियम 1955 की धारा 207 में इसके लिए राजस्व न्यायालय का उल्लेख हो।

जस्टिस चंद्रशेखर शर्मा की पीठ ने यह टिप्पणी पुनर्विचार याचिका की सुनवाई के दौरान की, जिसमें याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश में CPC की आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद खारिज करने की याचिका को ठुकरा दिया गया था।

प्रत्युत्तरदाता ने याचिका दायर कर याचिकाकर्ता और एक अन्य के बीच हुए सेल डीड रद्द करने की मांग की थी। उसका कहना था कि जिस कृषि भूमि का विक्रय हुआ, वह केवल प्रतिवादी नंबर 2 की नहीं थी बल्कि उसमें उसकी भी जन्मसिद्ध हिस्सेदारी थी, इसलिए प्रतिवादी नंबर 2 को उसे बेचन का अधिकार नहीं था।

इसके विरुद्ध याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए वाद खारिज करने की मांग की थी कि चूंकि भूमि कृषि प्रकृति की है अतः धारा 207 के अनुसार केवल रिवेन्यू कोर्ट को ही मामला सुनने का अधिकार है।

कोर्ट ने इस मामले में Maniram बनाम Mamkori निर्णय का हवाला दिया जिसमें कहा गया था,

"यदि वादपत्र में किए गए आरोप यह दर्शाते हैं कि दस्तावेज़ रद्द योग्य है और उसे रद्द करने का निवेदन किया गया तो ऐसा अधिकार केवल सिविल कोर्ट को ही होता है भले ही भूमि कृषि हो। ऐसे मामले धारा 207 के अंतर्गत वर्जित नहीं माने जाएंगे।"

इस आधार पर कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामला भी रद्द योग्य दस्तावेज़ से जुड़ा हुआ है। अतः ट्रायल कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करना उचित है और सिविल कोर्ट को ही इस विवाद की सुनवाई का अधिकार है।

नतीजतन पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: सोहन सिंह बनाम रजकीदेवी एवं अन्य

Tags:    

Similar News